Thursday, October 23, 2025

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केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू, भैरवनाथ मंदिर में हुई इस वर्ष की अंतिम पूजा

रुद्रप्रयाग: हिमालय की ऊंची चोटियों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की प्रक्रिया सोमवार से आरंभ हो गई है। कपाट बंद होने से पूर्व परंपरा के अनुसार भैरवनाथ मंदिर में इस वर्ष की अंतिम पूजा-अर्चना विधि-विधान से सम्पन्न की गई।

श्रावण और भाद्रपद माह में लाखों श्रद्धालुओं के दर्शन कराने के बाद अब भगवान केदारनाथ की डोली शीतकालीन प्रवास ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान करने की तैयारी में है। सोमवार सुबह पुजारियों ने विशेष पूजा के बाद भैरवनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसमें तीर्थ पुरोहितों, रावल (मुख्य पुजारी), हक-हकूकधारियों और देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

भैरवनाथ मंदिर में पूजा के दौरान भगवान केदारनाथ के प्रति आभार व्यक्त किया गया कि उन्होंने पूरे यात्रा सीजन में भक्तों पर कृपा बनाए रखी। पूजा के पश्चात मंदिर परिसर में पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि के बीच भक्तों ने ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष किए।

देवस्थानम बोर्ड के अनुसार, केदारनाथ धाम के कपाट 26 अक्टूबर को प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। उससे पहले मंदिर में भगवान की भव्य ‘विशेष श्रंगार पूजा’ और रुद्राभिषेक किया जाएगा। कपाट बंद होने की तिथि वृश्चिक संक्रांति और पंचांग गणना के अनुसार तय की गई है।

इस वर्ष लगभग 18 लाख श्रद्धालुओं ने केदारनाथ धाम के दर्शन किए, जो अब तक का रिकॉर्ड माना जा रहा है। बीते छह महीनों में केदारपुरी में यात्रियों की भारी आमद के बावजूद प्रशासन ने व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संभालीं।

कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की उत्सव मूर्ति को भव्य डोली यात्रा के माध्यम से ऊखीमठ ले जाया जाएगा, जहां सर्दियों के छह महीने तक ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना होगी।

भैरवनाथ मंदिर में हुई अंतिम पूजा को लेकर स्थानीय लोगों में भी भावनात्मक माहौल देखा गया। उन्होंने कहा कि यह क्षण हर वर्ष मिश्रित भावनाओं से भरा होता है—एक ओर भगवान के दर्शनों की पूर्णता का आनंद, तो दूसरी ओर अगले छह महीनों तक केदारपुरी के शांत रहने का बोध।

आगामी दिनों में बदरीनाथ धाम सहित पंचकेदार के अन्य मंदिरों में भी कपाट बंद होने की तैयारियां चल रही हैं।

 

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