कीव/वॉशिंगटन। यूक्रेन की राजधानी कीव एक बार फिर भीषण मिसाइल हमलों से दहल उठी है। यह हमला उस संवेदनशील समय पर हुआ है, जब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक महत्वपूर्ण मुलाकात प्रस्तावित है। धमाकों की तीव्रता इतनी अधिक थी कि उनकी आवाज घटनास्थल से कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई, जिससे शहर में दहशत का माहौल बन गया और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे।
रणनीतिक समय पर हमला
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले का समय बेहद सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
- मुलाकात पर साया: ट्रंप और जेलेंस्की की इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं, क्योंकि ट्रंप ने बार-बार युद्ध को समाप्त करने का दावा किया है। इस कूटनीतिक चर्चा से ठीक पहले हुआ हमला यूक्रेन पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
- दहशत का माहौल: प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कीव के आसमान में एक के बाद एक कई मिसाइलें देखी गईं। धमाकों के कारण रिहायशी इमारतों की खिड़कियां टूट गईं और पूरे इलाके में धुएं का गुबार छा गया।
हवाई रक्षा प्रणाली हुई सक्रिय
यूक्रेनी वायुसेना ने पुष्टि की है कि जैसे ही रूसी मिसाइलें कीव की ओर बढ़ीं, देश की हवाई रक्षा प्रणाली (Air Defense System) को सक्रिय कर दिया गया।
- इंटरसेप्शन: अधिकारियों का दावा है कि कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया गया, हालांकि उनके मलबे गिरने से जमीन पर नुकसान हुआ है।
- सायरन की गूंज: हमले के दौरान पूरे कीव में हवाई हमलों के सायरन बजते रहे और प्रशासन ने लोगों को बंकरों से बाहर न निकलने की सख्त हिदायत दी।
ट्रंप की शांति योजना और जेलेंस्की की उम्मीदें
इस हमले ने आगामी बैठक की अहमियत को और बढ़ा दिया है।
- जेलेंस्की का रुख: राष्ट्रपति जेलेंस्की ट्रंप से सैन्य सहायता जारी रखने और यूक्रेन की संप्रभुता की गारंटी चाहते हैं।
- ट्रंप का रुख: डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वे 24 घंटे के भीतर युद्ध रुकवा सकते हैं। अब देखना यह होगा कि इस ताजा हमले के बाद उनकी रणनीति में क्या बदलाव आता है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
हमले के तुरंत बाद यूरोपीय देशों और नाटो (NATO) ने इसकी कड़ी निंदा की है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे शांति वार्ता की कोशिशों को बाधित करने वाला कदम बताया है। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “मिसाइलें हमें डरा नहीं सकतीं, हम अपनी जमीन और अपने हक के लिए वार्ता की मेज पर मजबूती से बैठेंगे।”





