कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बेलगावी जिले में सीएम सिद्धारमैया के जनसभा के दौरान हुए हंगामा को लेकर भाजपा द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें फिलहाल सिर्फ अखबारों से मिली जानकारी ही है, लेकिन शुरुआती जांच में पता चला है कि कुछ भाजपा महिला मोर्चा की कार्यकर्ता कांग्रेस की शॉल ओढ़कर कार्यक्रम में पहुंची थीं। गृह मंत्री ने कहा कि जब अन्य कांग्रेस नेता भाषण दे रहे थे तब कोई विरोध नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री बोलने लगे, इन महिलाओं ने काले झंडे दिखाकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
बता दें कि कर्नाटक के बेलगावी जिले में सोमवार को उस समय विवाद खड़ा हो गया जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक जनसभा में महंगाई के खिलाफ बोलने के लिए मंच पर पहुंचे। जैसे ही वे भाषण देने लगे, कुछ महिलाओं ने उन्हें काला झंडा दिखाया। इससे सीएम नाराज हो गए और मंच पर सुरक्षा व्यवस्था की खराबी को लेकर एक पुलिस अधिकारी पर गुस्सा हो गए।
मीडिया रिपोर्ट की माने तो जनसभा के दौरान महिलाओं द्वारा काला झंडा दिखाने पर सिद्धारमैया गुस्से में आ गए और उन्होंने पुलिस अधिकारी को अपने मंच पर बुलाते हुए कहा, आओ यहां..कौन है एसपी? क्या कर रहे हो? इसके बाद मुख्यमंत्री गुस्से में पुलिस अधिकारी की ओर हाथ उठाते हैं, लेकिन पुलिस अधिकारी तुरंत पीछे हट जाते हैं। फिर सिद्धारमैया उन्हें उन लोगों को हटाने का आदेश देते हैं, जो उनके लिए परेशानी पैदा कर रहे थे।
इस घटना को लेकर भाजापा ने राज्य सरकार का जबरदस्त घेराव किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भाजपा ने लिखा कि ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारी पर हाथ उठाना सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि कर्नाटक की जनता और कानून पर हमला है। साथ ही भाजपा ने कर्नाटक में लोकतंत्र हत्या का हैशटैग चलाते हुए लिखा कि यह तानाशाही है, नेतृत्व नहीं। सिद्धारमैया औरंगज़ेब से कम नहीं हैं। ये कर्नाटक के लिए एक काला दिन है।
भाजपा के इन आरोपों को लेकर गृह मंत्री कहा कि अगर ये कार्यकर्ता भाजपा की शॉल ओढ़कर आतीं, तो पुलिस को उनकी पहचान हो जाती और सुरक्षा की तैयारी बेहतर होती। आगे उन्होंने सवाल किया कि भाजपा को कांग्रेस की शॉल पहनने का क्या नैतिक अधिकार है?। साथ ही पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं ताकि यह पता चल सके कि कहीं सुरक्षा में कोई लापरवाही तो नहीं हुई।