नई दिल्ली।
विदेशों में भारतीय दवा निर्माता कंपनी की कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित मनी लॉन्ड्रिंग और निर्यात नियमों के उल्लंघन से जुड़े आरोपों के सिलसिले में की गई।
ईडी की टीमों ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली स्थित कंपनी के कुल सात ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान जांच एजेंसी ने कंपनी से जुड़े वित्तीय दस्तावेज, निर्यात रिकॉर्ड, बैंक खातों से संबंधित कागजात और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए हैं।
जानकारी के मुताबिक, श्रीसन फार्मा पर आरोप है कि उसने उन कफ सिरप का निर्यात किया था, जिनके सेवन से कई अफ्रीकी देशों में बच्चों की मौत हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस मामले पर पहले ही कड़ी आपत्ति जताई थी और भारत सरकार से जांच की सिफारिश की थी।
ईडी की कार्रवाई केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और हरियाणा ड्रग कंट्रोल विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया था कि कंपनी ने निर्यात के लिए तय मानकों और गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।
अधिकारियों के अनुसार, यह भी संदेह है कि कंपनी ने निर्यात के दौरान वित्तीय अनियमितताओं और फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया। इसी को आधार बनाकर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया और छापेमारी की।
छापेमारी के दौरान कई कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछताछ भी की गई। एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस पूरे प्रकरण में किन अन्य कंपनियों या व्यक्तियों की भूमिका रही है।
उल्लेखनीय है कि श्रीसन फार्मा का नाम 2022 में उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब गाम्बिया में दर्जनों बच्चों की मौत के लिए भारत में बनी कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके बाद सरकार ने संबंधित बैचों को तत्काल वापस मंगाने और जांच के आदेश दिए थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, ईडी की यह कार्रवाई दवा निर्यात क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इस बीच, श्रीसन फार्मा ने अपने बयान में कहा है कि कंपनी सभी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग कर रही है और उसके उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। हालांकि जांच एजेंसियां इस दावे की सत्यता की गहराई से जांच कर रही हैं।
इस ताजा छापेमारी ने एक बार फिर भारत की दवा निर्माण प्रणाली की गुणवत्ता और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एजेंसियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं।


