नई दिल्ली। भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच सोमवार को एक अहम कूटनीतिक पहल देखने को मिली। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से नई दिल्ली में मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने, पारस्परिक हितों पर संवाद बढ़ाने और विश्वास बहाली पर विस्तार से चर्चा हुई।
यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब पिछले एक वर्ष से भारत-कनाडा संबंधों में खटास आई हुई है। विशेष रूप से खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और कूटनीतिक विवादों के कारण दोनों देशों के रिश्ते ठंडे पड़े थे। ऐसे में यह मुलाकात संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी से हुई मुलाकात में विकास और सहयोग पर जोर
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी और कनाडाई विदेश मंत्री के बीच हुई बैठक में व्यापार, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और कनाडा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित साझेदार हैं और “संबंधों को परस्पर सम्मान और साझा हितों के आधार पर आगे बढ़ाया जाना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के क्षेत्र में संभावनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कृषि, ऊर्जा और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई गति दी जा सकती है।
जयशंकर-जॉली वार्ता में संवेदनशील मुद्दों पर भी चर्चा
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और मेलानी जोली के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में कई अहम विषय उठाए गए। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत की प्राथमिकता अपने राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता की रक्षा करना है। उन्होंने कनाडा में सक्रिय खालिस्तान समर्थक तत्वों और भारत-विरोधी गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि “ऐसे मामलों में कार्रवाई होना दोनों देशों के रिश्तों के लिए आवश्यक है।”
वहीं, कनाडाई विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश भारत के साथ संवाद के सभी रास्ते खुले रखना चाहता है और आपसी मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने का इच्छुक है। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (FTA) पर आगे की बातचीत जल्द बहाल करने का भी संकेत दिया।
दोनों देशों ने विश्वास बहाली के संकेत दिए
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, बैठक का माहौल सकारात्मक रहा और दोनों पक्षों ने भविष्य में संवाद बढ़ाने और गलतफहमियों को दूर करने की इच्छा जताई। विदेश मंत्रालय के अनुसार, “भारत आपसी सम्मान और पारदर्शिता पर आधारित संबंधों के पक्ष में है। बातचीत का यह दौर उसी दिशा में एक कदम है।”





