ऑस्ट्रेलिया में शनिवार को आम चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। चुनाव में मुख्य मुद्दे महंगाई और घरों की कमी जैसे मुद्दे छाए रहे। मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ। इससे पहले डाक मतदान 22 अप्रैल को ही शुरू हो गया था। ऑस्ट्रेलिया उन गिने चुने देशों में शामिल है, जहां मतदान करना अनिवार्य है। साल 2022 में हुए पिछले आम चुनाव में 90 प्रतिशत मतदान हुआ था। सेंटर लेफ्ट लेबर पार्टी के नेता और मौजूदा प्रधानमंत्री एंथनी एल्बानीज दूसरा कार्यकाल पाने की कोशिशों में जुटे हैं। उनका मुकाबला कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पीटर डटन से है।
ऑस्ट्रेलिया संसद में दो सदन हैं। ऊपरी सदन को सीनेट और निचले सदन को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (प्रतिनिधि सभा) कहा जाता है। भारत की तरह ही निचले सदन में बहुमत पाने वाली पार्टी या गठबंधन का नेता ही प्रधानमंत्री बनता है। इसकी 150 सीटों के लिए आज वोटिंग हो रही है। चुनाव नतीजे 3 मई की रात या फिर 4 मई की सुबह तक आ जाएंगे। इसके साथ ही ऊपरी सदन की 76 में से 40 सीटों के लिए भी वोटिंग होनी है। इस सदन में चुने गए सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता और हर 3 साल में आधे सदस्य बदल जाते हैं।
साल 2022 में लेबर पार्टी के सत्ता में चुने जाने के एक साल बाद ही वार्षिक मुद्रास्फीति दर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं। साथ ही घरों की कीमतें और किराए भी बढ़ चुके हैं। मुद्रास्फीति बढ़ने से लाभ मार्जिन कम हुआ है, इसके चलते रियल एस्टेट सेक्टर परेशानी के दौर से गुजर रहा है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी चुनाव में प्रमुख मुद्दा है। विभिन्न चुनाव पूर्व सर्वे में दावा किया जा रहा है कि सत्ताधारी लेबर पार्टी की एक बार फिर सत्ता में वापसी हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो मौजूदा पीएम एंथनी एल्बनीज एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की सत्ताधारी लेबर पार्टी के 151 सीटों वाले निचले सदन में 78 सांसद हैं। सीटों के पुनर्वितरण के बाद 150 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। वहीं विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के गठबंधन ने पिछली चुनाव में 53 सीटें हासिल की थी। ऐसे में आशंका है कि इस बार ऑस्ट्रेलिया में गठबंधन की सरकार बन सकती है।