ऑनलाइन गेमिंग साइट, जुए और सट्टेबाजी पर प्रतिबंध को लेकर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और द्रमुक सांसद दयानिधि मारन के बीच बुधवार को लोकसभा में जमकर नोकझोंक हुई। सट्टेबाजी और जुआ को राज्य का विषय बताते हुए वैष्णव ने द्रमुक सांसद पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन सट्टेबाजी और जुए पर कानून बनाना राज्य का विषय है। प्रश्नकाल के दौरान द्रमुक सांसद मारन ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ कदम उठाने की अपनी नैतिक जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। केंद्रीय आईटी मंत्रालय सभी ऑनलाइन साइटों पर प्रतिबंध लगाने में कितना समय लेगा। उन्होंने कहा, तमिलनाडु सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया है। वैष्णव ने पलटवार करते हुए कहा कि मारन को केंद्र की नैतिक जिम्मेदारी पर प्रश्न उठाने का कोई हक नहीं है। देश संविधान में परिभाषित संघीय ढांचे के अनुसार चलता है। संविधान राज्यों को उनके विषयों से संबंधित सूची-दो के अनुसार कानून बनाने का नैतिक और कानूनी अधिकार देता है। कृपया, संघीय ढांचे का अध्ययन करें। वैष्णने कहा, केंद्र सरकार अब तक 1,410 ऑनलाइन गेमिंग साइटों पर प्रतिबंध लगा चुकी है। सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि देश में नक्सली हिंसा में 81 फीसदी की कमी आई है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि नक्सली हिंसा में आम नागरिकों और सुरक्षाबलों की मौतों में 85 प्रतिशत की कमी आई है। सरकार ने अगले साल मार्च तक देश से नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।
गृह राज्यमंत्री ने कहा, नक्सली हिंसा की घटनाएं वर्ष 2010 में अपने उच्चतम स्तर 1,936 पर पहुंच गई थीं, जो 2024 में घटकर 374 रह गईं। यह 81 प्रतिशत की कमी है। वर्ष 2010 में देशभर में हुई नक्सली हिंसा में 1,005 नागरिक व सुरक्षाबल मारे गए। वर्ष 2024 में यह संख्या घटकर 15 रह गई। यानी, इसमें 85 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2023 में नक्सली हिंसा के 485 मामले दर्ज किए गए, जबकि वर्ष 2022 में 413, वर्ष 2021 में 361, वर्ष 2020 में 470 मामले दर्ज किए गए। मंत्री ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान वामपंथी उग्रवादियों की हिंसा की घटनाएं जो 2019 में 501 थीं, 2024 में घटकर 374 रह गई हैं, यानी 25 प्रतिशत की कमी आई है। कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने बुधवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के आवंटन में कम धन के प्रावधान का मुद्दा उठाया। सोनिया ने कहा कि सरकार ने इस योजना के लिए कम बजट आवंटित किया है, जिसके चलते महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सोनिया ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि में भी कटौती की गई है। उन्हें 6,000 के बजाय 5,000 रुपये मिल रहे हैं। वर्ष 2022-23 के आंकड़ों का हवाला देते हुए सोनिया ने कहा, पहले बच्चे के जन्म पर 68 फीसदी महिलाओं को पहली किस्त दी गई, पर अगले वर्ष से आंकड़ा मात्र 12 फीसदी रह गया।