नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग द्वारा लागू किए गए एसआईआर (स्पेशल इलेक्टोरल रिव्यू) को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग को सार्वजनिक रूप से यह साबित करना चाहिए कि वह भाजपा के दबाव में काम नहीं कर रहा और उसकी कार्यप्रणाली पूरी तरह स्वतंत्र है।
खरगे ने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया का इस्तेमाल चुनिंदा क्षेत्रों में मतदाता सूची में “मनचाहे बदलाव” करने और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए किया जा रहा है। उनका कहना था कि आयोग की हालिया कार्रवाइयों से विपक्षी दलों के बीच भरोसे की कमी बढ़ी है, जबकि चुनावी प्रक्रिया का मूल आधार ही निष्पक्षता और पारदर्शिता है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कई राज्यों से मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं, जिसमें नाम हटाने, डुप्लीकेट एंट्री और नए मतदाताओं की अनियमित जोड़-घटाव जैसी बातें सामने आई हैं। पार्टी का आरोप है कि इन गतिविधियों से भाजपा को सीधा राजनीतिक लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है।
खरगे ने कहा कि यदि आयोग वास्तव में स्वतंत्र संस्थान है, तो उसे अपने निर्णयों, जांच प्रक्रियाओं और एसआईआर में किए जा रहे बदलावों का विस्तृत विवरण सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि आयोग को विपक्षी दलों के साथ एक खुली बैठक कर सभी प्रश्नों के “तार्किक और दस्तावेज आधारित” जवाब देने चाहिए।
कांग्रेस ने यह भी संकेत दिया है कि यदि शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वह व्यापक राजनीतिक अभियान चलाने और कानूनी विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार है। पार्टी नेताओं का कहना है कि लोकतंत्र के लिए निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता अत्यंत महत्वपूर्ण है और किसी भी प्रकार की शंका को दूर करना आयोग की जिम्मेदारी है।
उधर, भाजपा और आयोग की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा गर्मा गया है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और तीखा हो सकता है।





