भूमि उपयोग परिवर्तन (एलयूसीसी) घोटाले की जांच में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में औपचारिक रूप से एफआईआर दर्ज कर ली है। एफआईआर में कुल 46 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें कई सरकारी अधिकारी, बिचौलिए और निजी लाभार्थी शामिल बताए जा रहे हैं।
सीबीआई की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि एलयूसीसी स्वीकृतियों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं और सरकारी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर अवैध रूप से भूमि उपयोग बदला गया। आरोप है कि इस घोटाले में शामिल लोगों ने नियमों के विरुद्ध जाकर वाणिज्यिक और निजी लाभ के लिए कृषि या प्रतिबंधित श्रेणी की जमीनों को अन्य उपयोगों के लिए अनुमति दिलवाई।
जांच एजेंसी के अनुसार, आरोपियों ने अवैध रूप से अनुमतियाँ प्राप्त करने के लिए दस्तावेज़ों में हेरफेर किया और संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर सरकारी नियमों का दुरुपयोग किया। इस प्रक्रिया में भारी वित्तीय लेनदेन और भ्रष्टाचार का भी संदेह जताया गया है। एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई ने कई स्थानों पर तलाशी अभियान भी शुरू कर दिया है ताकि घोटाले से जुड़े दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक सबूत जुटाए जा सकें।
सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि जांच अब तेज़ की जाएगी और आरोपियों से पूछताछ कर पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जाएगा। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश में है कि जानबूझकर नियमों की अनदेखी कर किस स्तर पर यह घोटाला संचालित किया गया और इसमें कौन-कौन से उच्चाधिकारी शामिल थे।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह मामला काफी समय से संदेह के घेरे में था और शिकायतों के आधार पर प्राथमिक जांच के बाद सीबीआई को विस्तृत जांच का निर्देश दिया गया था। अब एफआईआर के साथ इस मामले में कानूनी कार्रवाई की औपचारिक शुरुआत हो गई है।
घोटाले से जुड़े कई पक्षों ने सीबीआई की कार्रवाई का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि जांच से सत्य सामने आएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हालांकि, कुछ आरोपियों ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि वे जांच में सहयोग करने को तैयार हैं।
सीबीआई की यह एफआईआर भूमि उपयोग से जुड़े नियमों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस मामले में आगे की जांच और संभावित गिरफ्तारियों पर सभी की निगाहें टिकी हैं।





