केरल में आईपीसी अधिकारी और राज्य के एडीजीपी एम आर अजित कुमार की आरएसएस के वरिष्ठ नेता से मुलाकात पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब एडीजीपी ने आरएसएस नेता से मुलाकात पर जो स्पष्टीकरण दिया है, उसे लेकर भी विवाद हो गया है। सत्ताधारी सीपीआईएम और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ गठबंधन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गौरतलब है कि अजित कुमार को सीएम पिनाराई विजयन का करीबी माना जाता है। अजित कुमार ने बीते साल मई में त्रिशूर में आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले से मुलाकात की थी। अब विवाद होने पर अजित कुमार ने इस मुलाकात को निजी मुलाकात बताया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अजित कुमार ने त्रिशूर में भाजपा उम्मीदवार की लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री और आरएसएस के बीच बिचौलिए के रूप में काम किया था। हालांकि सत्ताधारी माकपा ने कांग्रेस के आरोपों को झूठ और बकवास करार दिया है। लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सीपीआई ने एडीजीपी की आरएसएस नेता के साथ मुलाकात पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि शीर्ष अधिकारी की आरएसएस नेता के साथ कथित मुलाकात से लोगों के बीच संदेह पैदा होता है। सीपीआई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने एडीजीपी के स्पष्टीकरण पर तंज कसते हुए सवाल किया कि कानून और व्यवस्था एडीजीपी ने आरएसएस की शाखा विज्ञान भारती के संगठनात्मक नेताओं के साथ क्या ज्ञान साझा किया था। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग स्वभाविक रूप से सोचेंगे कि एडीजीपी ने आरएसएस नेताओं क्यों मुलाकात की और उनकी गुप्त बैठक का क्या कारण था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुरलीधरन ने एडीजीपी के कथित स्पष्टीकरण पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि ‘कौन सी व्यक्तिगत यात्रा? आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो एलडीएफ और यूडीएफ दोनों का ही विरोधी है। मुख्यमंत्री के अधीन एक आईपीएस अधिकारी ने ऐसे संगठन के राष्ट्रीय नेता से मुलाकात की थी। क्या उन्हें यात्रा से पहले सीएम या डीजीपी को सूचित नहीं करना चाहिए था?’ उन्होंने आरोपों की न्यायिक जांच की भी मांग की। वहीं वामपंथी नेताओं ने कहा है कि एडीजीपी माकपा नेता नहीं हैं, ऐसे में पार्टी को इस पर सफाई क्यों देनी चाहिए।