नई दिल्ली। अमेरिका ने एच-1बी वीजा के लिए शुल्क में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की है। अब इस वीजा के लिए भारतीय IT पेशेवरों को करीब 88 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। यह बढ़ोतरी न केवल पेशेवरों की जेब पर भारी पड़ेगी, बल्कि भारतीय IT कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी चुनौती दे सकती है।
एच-1बी वीजा क्यों है खास
एच-1बी वीजा विशेष रूप से विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में अस्थायी रूप से काम करने की अनुमति देता है। यह तकनीकी और आईटी सेक्टर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय आईटी पेशेवरों की बड़ी संख्या इस वीजा के तहत अमेरिका में काम करती है।
शुल्क में हुई बढ़ोतरी
हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने वीजा शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि की है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अब यह शुल्क लगभग 88 लाख रुपये तक हो सकता है, जो पहले की तुलना में कई गुना अधिक है। इस वृद्धि का सीधा असर उन कंपनियों पर पड़ेगा जो अमेरिकी प्रोजेक्ट के लिए भारतीय कर्मचारियों को भेजती हैं।
भारतीय IT सेक्टर पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि शुल्क बढ़ने से भारतीय IT कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इसका प्रभाव दो तरीके से होगा:
- अमेरिकी प्रोजेक्ट में कर्मचारियों की तैनाती महंगी हो जाएगी।
- कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हो सकती है।
सरकार और कूटनीतिक पहल की जरूरत
कांग्रेस और कुछ उद्योग विशेषज्ञों ने इसे गंभीर मुद्दा बताया है और कहा कि सरकार को अमेरिका के साथ कूटनीतिक संवाद करके भारतीय पेशेवरों और कंपनियों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य
एच-1बी वीजा अमेरिकी तकनीकी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय पेशेवर इस वीजा के माध्यम से अमेरिका में काम कर रहे हैं, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग भी मजबूत होता है। बढ़े हुए शुल्क से इस सहयोग पर भी असर पड़ सकता है।





