Sunday, April 27, 2025

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एक और संघीय जज ने रोका ट्रंप का फैसला

अमेरिका के एक और संघीय जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस नीति पर रोक लगा दी है, जिसमें ट्रांसजेंडर्स लोगों को सेना से प्रतिबंधित कर दिया गया था। गुरुवार को यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज  बेंजामिन सेटल ने यह आदेश दिया। इस आदेश से सेना में सेवा दे रहे कई ट्रांसजेंडर्स सैनिकों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन की नीति उनके प्रति अपमानजनक और भेदभावपूर्ण है और उन्हें नौकरी से निकाले जाने पर उनके करियर और प्रतिष्ठा को भारी नुकसान होगा।  गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही अमेरिका की एक अन्य संघीय न्यायाधीश एना रेयेस ने भी ट्रंप प्रशासन के ट्रांसजेंडर्स को सेना से प्रतिबंधित करने की नीति पर रोक लगा दी थी। अब ताजा आदेश से अमेरिकी वायुसेना में सेवा दे रहे दो ट्रांसजेंडर पुरुषों को नौकरी से निकाले जाने पर भी रोक लग गई। राष्ट्रपति ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद 27 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया कि ट्रांसजेंडर्स की लैंगिक पहचान सैनिकों के अनुशासन, सम्मान के आड़े आती है और यह सेना की तैयारियों के लिहाज से खतरनाक है। इसके बाद ट्रांसजेंडर्स लोगों को सेना से प्रतिबंधित कर दिया गया। अदालत में ट्रंप की नीति के खिलाफ जेंडर जस्टिस लीग नामक संगठन ने याचिका दायर की थी, जो ट्रांसजेंडर्स के लिए काम करती है। उल्लेखनीय है कि साल 2016 में अमेरिका के रक्षा विभाग ने ट्रांसजेंडर्स को सेना में सेवा देने की मंजूरी दी थी। डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी ट्रांसजेंडर्स को सेना में सेवा देने से रोकने का निर्देश दिया गया था, लेकिन जो बाइडन के सत्ता में आने के बाद इसे रोक दिया गया। अमेरिका के एक संघीय जज ने गुरुवार को सिग्नल एप पर साझा किए गए संदेश संरक्षित करने का आदेश दिया है। दरअसल सिग्नल एप पर बीते दिनों अमेरिकी सरकार के शीर्ष नेताओं और अधिकारियों ने हूतियों पर हमले की खुफिया जानकारी साझा की थी, जो लीक हो गई। इस लीक के बाद ट्रंप प्रशासन अपने आलोचकों के निशाने पर है। एक गैर लाभकारी संस्था अमेरिकन ओवरसाइट ने संदेशों को संरक्षित करने की मांग की थी। अमेरिका की एक पत्रिका में उपराष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, खुफिया विभाग की निदेशक, राष्ट्रपति के प्रतिनिधि, सीआईए निदेशक समेत कई शीर्ष नेताओं और अधिकारियों की खुफिया और संवेदनशील बातचीत का पूरा ब्यौरा प्रकाशित किया था। इसे लेकर सरकार घिर गई और शीर्ष नेताओं को सीनेट की खुफिया समिति के सामने पेश होना पड़ा।

 

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