नई दिल्ली: उत्तर भारत में आई बाढ़ से उत्पन्न हालात से निपटने के लिए अब युवा डॉक्टर भी मोर्चा संभालेंगे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने देशभर के सभी मेडिकल कॉलेजों को आदेश जारी कर कहा है कि वे अपने इंटर्न और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को राहत कार्यों के लिए उपलब्ध कराएं।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि बाढ़ प्रभावित राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव है। बीमारियों के फैलने और मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने की आशंका को देखते हुए अतिरिक्त चिकित्सा बल की आवश्यकता है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रशिक्षित युवा डॉक्टरों की टीमें तैयार करें और स्थानीय प्रशासन से समन्वय कर प्रभावित क्षेत्रों में तैनात करें।
एनएमसी ने यह भी कहा है कि डॉक्टरों की तैनाती के दौरान उनके ठहरने, भोजन और सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार और जिला प्रशासन की होगी। मेडिकल कॉलेजों से अपेक्षा की गई है कि वे तत्काल अपनी उपलब्धता की सूची आयोग को भेजें, ताकि स्थिति के अनुरूप टीमों की तैनाती की जा सके।
गौरतलब है कि उत्तर भारत के कई राज्यों—उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल—में भारी बारिश और बाढ़ से सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त है। स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद डेंगू, मलेरिया, दस्त और अन्य संक्रामक बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ सकता है।