कोलकाता / जलपाईगुड़ी। पश्चिम बंगाल के उत्तरवर्ती इलाकों में पिछले कुछ दिनों से जारी भारी बारिश और बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई जिलों में नदियाँ उफान पर हैं, सड़कों और पुलों को भारी नुकसान हुआ है, जबकि हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं। राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस आपदा के लिए भूटान से छोड़े गए पानी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि “राज्य को इसके नुकसान का मुआवजा मिलना चाहिए।”
भारी बारिश से बिगड़े हालात
उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, कूचबिहार और दार्जिलिंग जिलों में लगातार हो रही बारिश से कई नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। तोर्सा, जलधाका और तीस्ता नदियों के किनारे बसे गांवों में पानी भर गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में फसलें तबाह हो गईं, कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात की हैं।
ममता बनर्जी का बयान
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कोलकाता में पत्रकारों से कहा, “भूटान से अचानक छोड़े गए पानी की वजह से बंगाल के सीमावर्ती इलाके डूब गए। यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रबंधन की कमी का परिणाम है। भूटान को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और राज्य को मुआवजा देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार लगातार भूटान और केंद्र सरकार से इस विषय पर संपर्क में है। “हमने पहले भी अनुरोध किया था कि बारिश के दौरान पानी छोड़ने से पहले बंगाल को समय से सूचना दी जाए ताकि तैयारी की जा सके, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ,” मुख्यमंत्री ने कहा।
केंद्र से सहायता की मांग
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से भी विशेष राहत पैकेज की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही आपदा राहत कोष से तत्काल सहायता जारी कर दी है, लेकिन नुकसान बहुत व्यापक है। “हमारे पास सीमित संसाधन हैं, केंद्र को आगे आना चाहिए,” उन्होंने जोड़ा।
स्थानीय प्रशासन की रिपोर्ट
जलपाईगुड़ी प्रशासन के अनुसार, अब तक 20,000 से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जा चुके हैं, जबकि कई गांवों में राहत शिविर बनाए गए हैं। विद्युत आपूर्ति और पेयजल व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है। राहत सामग्री और चिकित्सा सेवाओं की आपूर्ति के लिए हेलीकॉप्टर की मदद भी ली जा रही है।
भूटान ने दी सफाई
भूटान के जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि “देश में हुई अत्यधिक बारिश के कारण जलाशयों का स्तर तेजी से बढ़ गया था। सुरक्षा कारणों से नियंत्रित मात्रा में पानी छोड़ा गया।” हालांकि उन्होंने कहा कि भूटान बंगाल सरकार के साथ समन्वय बढ़ाने को तैयार है।





