Saturday, November 15, 2025

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उत्तराखंड: सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में होगा फायर सेफ्टी ऑडिट, स्वास्थ्य सचिव ने दिए सख्त निर्देश

देहरादून:
जयपुर के एक अस्पताल में आग लगने की हालिया घटना के बाद उत्तराखंड सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।
सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सा संस्थानों में अग्नि सुरक्षा प्रणाली को तत्काल मजबूत किया जाए और प्रत्येक अस्पताल में हर माह मॉक ड्रिल प्रैक्टिस के साथ फायर सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य रूप से किया जाए। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. अजय आर्य, दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन, उप सचिव जसंविदर कौर और सीएमएस डॉ. आर.एस. बिष्ट सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
दून मेडिकल कॉलेज में सख्त निर्देश
स्वास्थ्य सचिव ने दून मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी से जुड़ी कार्यदायी संस्था को निर्देश दिया कि फायर से संबंधित अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने अग्निशमन विभाग से भी आवश्यक कार्रवाई करने को कहा।
सचिव ने अस्पताल में लगे स्प्रिंकलर, मोटर्स और अन्य फायर सेफ्टी उपकरणों की जांच कर उनका डेमो (प्रदर्शन) कराने के निर्देश दिए।
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य को निर्देश दिए गए कि वे कार्यदायी संस्था के साथ प्रत्येक माह नियमित बैठक करें और कार्यों की प्रगति की समीक्षा करें।
कार्यदायी संस्था ने बैठक में जानकारी दी कि ओटी बिल्डिंग की फायर NOC 30 अक्तूबर 2025 तक और सीएसएसडी विभाग की NOC 30 नवंबर 2025 तक उपलब्ध करा दी जाएगी।
“मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता” — मुख्यमंत्री धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता मरीजों और अस्पताल स्टाफ की सुरक्षा है। उन्होंने कहा,
“उत्तराखंड के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में फायर सुरक्षा प्रणाली को और सुदृढ़ किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी संस्थान सुरक्षा मानकों के अनुरूप संचालित हों। किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”
सरकार के इस निर्णय के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्यभर के अस्पतालों में फायर सेफ्टी व्यवस्था और निगरानी प्रणाली को नई मजबूती मिलेगी, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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