Saturday, November 15, 2025

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उत्तराखंड में 51 खनन पट्टों से खनिज निकासी की तैयारी, पांच वर्ष तक चलेगा उत्खनन कार्य

देहरादून। राज्य सरकार ने खनन क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए 51 खनन पट्टों से खनिज निकासी की तैयारी पूरी कर ली है। इन पट्टों से अगले पांच वर्षों तक खनिजों का उत्खनन किया जा सकेगा। शासन स्तर पर संबंधित प्रक्रियाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है और जल्द ही विभागीय स्वीकृति के बाद इन पट्टों पर खनन कार्य शुरू होने की संभावना है।

खनन विभाग के अनुसार, इन 51 पट्टों में से अधिकांश गंगा, कोसी, दुली, गौला और शारदा नदी तंत्र से जुड़े क्षेत्र हैं। इन स्थानों पर बालू, बजरी, रेत और अन्य खनिजों की निकासी की जाएगी। विभाग का कहना है कि खनन कार्य पर्यावरणीय नियमों और न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुरूप किया जाएगा ताकि पारिस्थितिक संतुलन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

अधिकारियों ने बताया कि खनन पट्टों को ई-नीलामी प्रक्रिया के तहत आवंटित किया गया है। इससे राज्य को न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अनुमान है कि इन पट्टों से राज्य सरकार को हर वर्ष सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।

खनन सचिव ने कहा कि सभी पट्टों की पर्यावरण स्वीकृति, सीमा निर्धारण और सुरक्षा मापदंडों की जांच पूरी कर ली गई है। प्रत्येक खनन क्षेत्र में जीपीएस आधारित निगरानी प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे अवैध खनन की संभावना को रोका जा सके।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि खनन गतिविधियों के दौरान स्थानीय पर्यावरण, नदियों के प्रवाह और आसपास की आबादी की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसके लिए संबंधित जिलों में निरीक्षण दल और निगरानी समितियां गठित की जा रही हैं, जो नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में खनन कार्य पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ संचालित होंगे। उन्होंने कहा कि वैध खनन से जहां प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, वहीं अवैध खनन पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में चयनित 51 पट्टों से खनन कार्य प्रारंभ होगा, जबकि दूसरे चरण में अन्य जिलों में भी नई खनन नीति के तहत पट्टे जारी किए जाएंगे।

राज्य सरकार को उम्मीद है कि यह पहल न केवल राजस्व संग्रह बढ़ाएगी, बल्कि खनिज आधारित उद्योगों को भी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराएगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और राज्य के विकास को नई दिशा मिलेगी।

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