Friday, November 28, 2025

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उत्तराखंड में भालू का बढ़ता खतरा: जंगल के रास्तों से रोज़ गुजरना मजबूरी

उत्तराखंड के चमोली जिले में भालू का भय बढ़ता जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में लगभग हर दिन भालू दिखाई दे रहे हैं, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। सबसे अधिक परेशानी स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को झेलनी पड़ रही है, जिन्हें कई किलोमीटर लंबा जंगली रास्ता तय कर स्कूल आना-जाना होता है। सुरक्षा के लिए बच्चे झुंड बनाकर चलते हैं, रास्ते भर शोर मचाते हैं और सीटियां बजाते रहते हैं ताकि अगर आसपास कोई भालू हो तो वह दूर चला जाए।

गोपेश्वर, ज्योतिर्मठ, पोखरी और दशोली ब्लॉक के कई क्षेत्रों में लगातार भालुओं की सक्रियता देखी जा रही है। ग्रामीणों की सबसे बड़ी चिंता उन बच्चों को लेकर है जिन्हें रोज़ाना दो से पांच किलोमीटर तक पैदल, घने जंगलों के बीच से होकर स्कूल जाना पड़ता है। दशोली ब्लॉक के स्यूंण गांव से जनता इंटर कॉलेज बेमरू तक आने वाले छात्रों का सफर सबसे कठिन माना जा रहा है, जहां उन्हें लगभग चार से पांच किमी जंगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है।

स्थानीय निवासी धीरेंद्र राणा बताते हैं कि जब तक बच्चे सुरक्षित घर न पहुंच जाएं, अभिभावकों की चिंता बनी रहती है। कई ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को ऐसे इलाकों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए ताकि किसी भी अनहोनी को रोका जा सके।

ज्योतिर्मठ में 50 से अधिक मवेशी भालू का शिकार

ज्योतिर्मठ ब्लॉक के थैंग गांव में भालू अब तक 50 से अधिक मवेशियों को मार चुका है। यहां हाईस्कूल में धीवाणी, कांडखोला और ग्वाड़ गांवों के 20–25 छात्र पढ़ने आते हैं, जिन्हें रोज़ाना करीब दो किलोमीटर जंगली रास्ता तय करना पड़ता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य रमा देवी और ग्राम प्रधान मीरा देवी का कहना है कि छोटे बच्चों को तो अभिभावक समूह बनाकर स्कूल छोड़ते हैं, लेकिन बड़े बच्चों की सुरक्षा को लेकर लगातार डर बना रहता है।

रात्रि गश्त तेज, ग्रामीणों को झाड़ियाँ साफ करने और धुआं जलाने की सलाह

पोखरी ब्लॉक के कई गांवों में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग और अलकनंदा भूमि संरक्षण वन प्रभाग की संयुक्त टीमें रात के समय गश्त कर रही हैं। वन क्षेत्राधिकारी नवल किशोर ने बताया कि ग्रामीणों से सतर्क रहने और भालू संभावित क्षेत्रों में झाड़ियां काटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मिर्च और मार्टिन की आग लगाने से उठने वाला धुआं भालू को दूर रखता है।

थैंग गांव में लगातार बढ़ती घटनाओं को देखते हुए विभाग ने दो ग्रामीणों को अस्थायी रूप से नियुक्त किया है जो भालू की गतिविधियों की सूचना तुरंत विभाग और गांव वालों को देंगे। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक महातिम यादव ने बताया कि स्कूल के बच्चों और ग्रामीणों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।

उत्तरकाशी: भालू के हमले में युवक गंभीर रूप से घायल

भालुओं का आतंक केवल चमोली तक सीमित नहीं है। उत्तरकाशी जिले के रैथल गांव में गुरुवार सुबह पानी भरने गए एक युवक पर भालू ने अचानक हमला कर दिया। युवक हरीश कुमार को सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। ग्रामीणों ने शोर मचाकर भालू को भगाया और घायल को पहले पीएचसी, फिर जिला अस्पताल और बाद में हायर सेंटर रेफर किया गया।

उत्तरकाशी में पिछले नौ महीनों में भालू के 13 हमले हो चुके हैं, जिनमें दो महिलाओं की मौत और 12 लोग घायल हुए हैं। दो मवेशियों की मौत भी इसी अवधि में दर्ज की गई है। जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद हमलों पर रोक नहीं लग पा रही है।

डीएम प्रशांत आर्य ने बताया कि वन विभाग को डिटरंट स्प्रे, एनाइडर और ट्रैप कैमरे लगाने के लिए फंड जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी आपातकालीन सेवाओं को एक्टिव मोड पर रखा गया है ताकि किसी भी स्थिति में त्वरित कार्रवाई संभव हो सके।

ग्रामीणों का कहना है कि भालू की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए प्रशासन को जंगली रास्तों पर सुरक्षा को और मजबूत करना होगा, खासकर उन बच्चों के लिए जिन्हें रोज़ाना इन खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ता है।

 

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