Thursday, October 23, 2025

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उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों को बड़ी सौगात: एमडी-एमएस की 58 नई सीटों को एनएमसी की मंजूरी, अल्मोड़ा कॉलेज को पहली बार मिली 35 सीटें

विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होगी दूर, 2025-26 सत्र से शुरू होंगी नई सीटें
देहरादून। उत्तराखंड के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़ी राहत की खबर है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने राज्य के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस (पोस्ट ग्रेजुएट) की 58 नई सीटों की मंजूरी दे दी है। ये सीटें शैक्षिक सत्र 2025-26 से प्रभावी होंगी।
एनएमसी की ओर से जारी अनुमोदन पत्र के अनुसार, राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून में 10, डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में 13 और पंडित गोविंद बल्लभ पंत राजकीय मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा में 35 सीटों की स्वीकृति दी गई है। इनमें से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को पहली बार पीजी पाठ्यक्रमों के लिए मान्यता मिली है, जो प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
उत्तराखंड लंबे समय से विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। नए पीजी कोर्स शुरू होने से राज्य को भविष्य में बड़ी संख्या में प्रशिक्षित विशेषज्ञ चिकित्सक मिल सकेंगे। राज्य सरकार ने इस दिशा में केंद्र को प्रस्ताव भेजा था,
नई स्वीकृत सीटें फार्माकोलॉजी, एनाटोमी, माइक्रोबायोलॉजी, ऑप्थल्मोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन, ऑर्थोपेडिक्स, जनरल मेडिसिन, पैथोलॉजी, कम्युनिटी मेडिसिन, ईएनटी, फिजियोलॉजी, एनास्थेसियोलॉजी, जनरल सर्जरी, बायोकैमिस्ट्री, गायनोकॉलॉजी और पीडियाट्रिक्स जैसे विषयों में दी गई हैं। इन पाठ्यक्रमों में अब एमबीबीएस डॉक्टर एमडी या एमएस की पढ़ाई कर सकेंगे।
प्रदेश में पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज
वर्तमान में प्रदेश में पांच राजकीय मेडिकल कॉलेज संचालित हैं — देहरादून, हल्द्वानी, श्रीनगर, अल्मोड़ा और हरिद्वार। इनमें से फिलहाल देहरादून, हल्द्वानी और श्रीनगर में 19 पाठ्यक्रमों में कुल 174 पीजी सीटें उपलब्ध हैं। अब नई स्वीकृत सीटों के साथ यह संख्या बढ़ जाएगी।
“हर मेडिकल कॉलेज में 100-100 पीजी सीटें बनाने का लक्ष्य” — स्वास्थ्य मंत्री
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। “हमारा लक्ष्य है कि आने वाले समय में हर राजकीय मेडिकल कॉलेज में एमडी-एमएस की कम से कम 100 सीटें हों। एनएमसी की यह स्वीकृति इस दिशा में एक बड़ा कदम है,” उन्होंने कहा।
नई सीटों से न केवल चिकित्सा शिक्षा को मजबूती मिलेगी बल्कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

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