देहरादून। उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर आई है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें बिजली दरों में बढ़ोतरी की मांग की गई थी। आयोग ने साफ कहा है कि यूपीसीएल के तर्क तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित नहीं हैं, इसलिए इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता।
यूपीसीएल ने आयोग से गुहार लगाई थी कि राज्य में बिजली दरों को पुनः निर्धारित किया जाए और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार डाला जाए। कंपनी का दावा था कि मौजूदा दरों से उसे आर्थिक घाटा हो रहा है। लेकिन आयोग ने विस्तृत सुनवाई के बाद पाया कि कंपनी का प्रस्तुतिकरण आंकड़ों से मेल नहीं खाता और वास्तविक खर्च व आय के बीच बड़ा अंतर नहीं है।
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि यूपीसीएल उपभोक्ताओं से जितना राजस्व अर्जित कर रही है, वह उसके परिचालन व रखरखाव खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। साथ ही, कंपनी ने अपने कई दावों के समर्थन में ठोस दस्तावेज भी पेश नहीं किए। ऐसे में उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डालना न्यायसंगत नहीं होगा।
इस निर्णय से राज्य के 27 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। आमतौर पर हर साल बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ताओं में चिंता रहती है, लेकिन इस बार आयोग के फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि निकट भविष्य में बिजली दरों में इजाफा नहीं होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग का यह रुख उपभोक्ता हित में है और इससे पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। वहीं, उपभोक्ता संगठनों ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जनता को महंगी बिजली से राहत मिली है और यूपीसीएल को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की जरूरत है।