तेहरान/वियना। अमेरिका और इस्राइल के हालिया हमलों के बाद ईरान अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीतिक मोर्चा खोलने की तैयारी में है। तेहरान ने घोषणा की है कि वह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की 69वीं जनरल कॉन्फ्रेंस में एक ऐसा प्रस्ताव पेश करेगा, जिसमें परमाणु स्थलों पर हमलों को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग की जाएगी।
ईरान के परमाणु संगठन प्रमुख मोहम्मद इस्लामी वियना पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन एजेंसी के रवैये पर सवाल उठाने का मौका है। इस्लामी ने आरोप लगाया कि IAEA ने ईरान पर हुए हमलों की निंदा नहीं की और “दोहरा रवैया” अपनाया। उन्होंने कहा, “भले ही प्रस्ताव पास न हो, लेकिन यह साफ हो जाएगा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर को कमजोर किया गया है।”
अमेरिका का दबाव और सदस्य देशों की लॉबिंग
ईरान के उप परमाणु प्रमुख बेहरूज कमालवंदी ने आरोप लगाया कि अमेरिका सदस्य देशों पर दबाव डाल रहा है कि वे इस प्रस्ताव का विरोध करें। उनका कहना है कि वाशिंगटन एजेंसी को सहायता रोकने तक की धमकी दे रहा है। तेहरान अब सम्मेलन के दौरान अधिक से अधिक देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगा। हालांकि ईरान मानता है कि यह प्रस्ताव शायद वोटिंग तक भी न पहुंच पाए।
पुराने प्रस्तावों का हवाला
कमालवंदी ने 1981 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 487 का जिक्र किया, जिसमें इस्राइल द्वारा इराक के ओसिराक रिएक्टर पर हमले को यूएन चार्टर का उल्लंघन बताया गया था। उन्होंने 1985 और 1990 में IAEA द्वारा पारित प्रस्तावों का भी हवाला दिया, जिनमें परमाणु स्थलों की सुरक्षा पर जोर दिया गया था।
परमाणु समझौता और हालिया हमले
2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान परमाणु समझौते से अलग होने का फैसला लिया था। इसके बाद से IAEA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने ईरान के खिलाफ चार प्रस्ताव पारित किए।
जून में ईरान को अनुपालन में विफल ठहराने के बाद इस्राइल ने उस पर लगातार 12 दिन तक हमले किए, जिसमें एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई और अरबों डॉलर का नुकसान हुआ। हालांकि हालिया अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट और IAEA दोनों ने कहा है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश नहीं कर रहा।
निरीक्षण बहाल करने का समझौता
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने पिछले हफ्ते काहिरा में IAEA के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत हमले झेल चुके सभी स्थलों पर निरीक्षण बहाल किया जाएगा। इस समझौते को ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने मंजूरी दी है। हालांकि कट्टरपंथी सांसदों ने चेतावनी दी है कि निरीक्षण से अमेरिका और इस्राइल को फिर से हमलों का मौका मिल सकता है।
फिलहाल निरीक्षकों की पहुंच केवल बुशेहर प्लांट तक है।




