Monday, April 28, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

इस माह बिहार-बंगाल व तमिलनाडु का दौरा करेंगे शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस महीने बिहार, प.बंगाल और तमिलनाडु के दौरे पर जाएंगे। इसके बाद उनका नियमित तौर पर इन राज्यों में जाने का कार्यक्रम है। बिहार में भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रही है, जबकि अन्य दो राज्यों में पार्टी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के प्रयास में है। सूत्रों ने बताया, शाह इन राज्यों में चुनाव तक लगभग हर महीने भाजपा की संगठनात्मक बैठकें आयोजित करेंगे। उन्होंने बताया कि शाह के 14 और 15 अप्रैल को पश्चिम बंगाल व 30 अप्रैल को बिहार में रहने की संभावना है, जबकि तमिलनाडु के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बिहार विस चुनाव अक्तूबर-नवंबर में होना है। प.बंगाल और तमिलनाडु में अगले साल मार्च-अप्रैल में असम, केरल और पुडुचेरी के साथ चुनाव होने की संभावना है। बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भाजपा सबसे बड़ी सहयोगी है। इस गठबंधन में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) शामिल हैं। जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार करीब 20 साल से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। भाजपा हालांकि, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में एक अलग तरह की चुनौती का सामना कर रही है।   तमिलनाडु में हमेशा एक हाशिये पर रहने वाली भाजपा से उम्मीद की जा रही है कि वह राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के साथ अपने गठबंधन को पुनर्जीवित कर सकती है, ताकि दक्षिणी राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ गठबंधन को टक्कर दी जा सके। द्रमुक का 2021 से ही राज्य की सत्ता पर दबदबा रहा है।अन्नाद्रमुक नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने हाल ही में शाह से मुलाकात की, जिससे दोनों दलों के एक साथ आने की संभावना बढ़ गई है। तमिलनाडु विधानसभा के लिए 2021 में हुए चुनाव में अन्नाद्रमुक और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन बाद में द्रविड़ पार्टी गठबंधन से बाहर हो गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग मैदान में उतरे, लेकिन दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा।बंगाल में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने की तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा को अब तक केवल आंशिक सफलता ही मिली है। वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी है, लेकिन 2011 से उसके निर्बाध शासन को समाप्त करने के अपने प्रयासों में विफल रही है।

Popular Articles