पाकिस्तान में सेना संरचना से जुड़ा एक बड़ा बदलाव हुआ है। जनरल आसिम मुनीर को तीनों सेनाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेना—की संयुक्त कमान के साथ-साथ देश के परमाणु हथियारों के नियंत्रण की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। उन्होंने औपचारिक रूप से चीफ ऑफ डिफेंस (CDF) का पदभार संभाल लिया है, जिसके बाद से सेना प्रमुख का अधिकार क्षेत्र और प्रभाव पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है।
नई व्यवस्था के तहत CDF का पद अब देश की उच्च सैन्य रणनीति और परमाणु सुरक्षा ढांचे में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। जनरल मुनीर के नेतृत्व में यह पद राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक योजना, संयुक्त सैन्य संचालन और अंतर-सेना समन्वय को और अधिक मजबूती देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से पाकिस्तान की रक्षा व्यवस्था में सेना प्रमुख का नियंत्रण और अधिक केंद्रीकृत हो गया है।
CDF बनने के साथ ही जनरल मुनीर अब राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण (NCA) से जुड़े प्रमुख निर्णयों में भी सीधे रूप से शामिल होंगे। NCA वही संस्था है जो देश के परमाणु कार्यक्रम एवं हथियारों की निगरानी, सुरक्षा और उपयोग नीति से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लेती है। इस जिम्मेदारी के मिलने से मुनीर देश की परमाणु रणनीति में भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान में यह बदलाव सेना की शक्ति संरचना को पुनर्गठित करने की कोशिश का हिस्सा है, जिससे तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सके। हालांकि, इसके राजनीतिक पहलुओं पर भी चर्चा जारी है, क्योंकि पाकिस्तान की राजनीति पर सेना की मजबूत पकड़ पहले से ही चर्चा का विषय रही है। इस नए पद के सक्रिय होने से सेना प्रमुख की भूमिका और प्रभाव और व्यापक हो गया है।
समारोह के दौरान जनरल मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान की सुरक्षा और सामरिक जरूरतें बहुत अहम हैं और वे तीनों सेनाओं के तालमेल को और सुदृढ़ बनाने पर ध्यान देंगे। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि देश की रक्षा क्षमता और परमाणु सुरक्षा व्यवस्था को किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
नई नियुक्ति के साथ पाकिस्तान की सैन्य संरचना में शक्ति का एक बड़ा केंद्र अब CDF पद में दिखाई देगा। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस पुनर्गठन का देश की सुरक्षा नीति, राजनीतिक ढांचे और सैन्य निर्णयों पर क्या प्रभाव पड़ता है।





