प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने मौजूदा भू-राजनीतिक स्थितियों की वजह से उभरती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत को इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम बताया। उन्होंने आत्मनिर्भरता को इससे उबरने का तरीका बताया और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार आत्मनिर्भर बनने पर ध्यान केंद्रित करके ही कोविड-19 महामारी, यूक्रेन-रूस संघर्ष और पश्चिम एशिया संकट से उपजी उथल-पुथल भरी स्थिति का सामना करने में सफल रही थी।पीके मिश्रा ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कहा कि पीएम मोदी ने ऐसी चुनौतियों का सामना करने में तत्परता दिखाई और इसके लिए आवश्यक सुधार किए। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कैसे तमाम चुनौतियों, भू-राजनीतिक तनावों, वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और ऊर्जा संक्रमण का सामना किया। उन्होंने बताया कि कोविड के समय में भारत ने कुछ प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करने के अलावा आर्थिक सुधारों के कई कदम उठाए। इससे विकास की गति बनी रही।डॉ. मिश्रा ने अनिश्चितता से निपटने के लिए नए दृष्टिकोण की जरूरत बताई, जिसमें न केवल जोखिम का आकलन किया जाए, बल्कि एक स्थिर व्यवस्था के निर्माण पर भी जोर दिया जाए। उन्होंने कहा, हमारी प्रणालियां न केवल सुव्यवस्थित होनी चाहिए, अपितु स्थिर और स्थायी भी होनी चाहिए। पीएम मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे अवसरों के निर्माण के दृष्टिकोण से बहुत सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि उभरते वैश्विक व्यापार परिवेश में न केवल द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, अपितु बहुपक्षीय संबंध भी आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं।
डॉ. मिश्रा ने भरोसा जताया कि सुदृढ़ डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और तकनीकी क्षमताओं वाले अपने विशाल बाजार और जनसंख्या के कारण भारत भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहेगा। साथ ही कहा कि भारत को बाहरी दबावों को झेलने और मजबूती से बातचीत करने में सक्षम होना चाहिए। डॉ. मिश्रा ने कृषि क्षेत्र में विविधता की जरूरत बताते हुए कहा कि जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 1970 के दशक के लगभग 50% से घटकर अब 18% रह गई है।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने कहा कि भारत सरकार किसी भी नीति निर्माण प्रक्रिया में अनिश्चितता को ध्यान में रखकर एक व्यापक रूपरेखा और परिणामोन्मुखी रचनात्मक मानसिकता पर ध्यान केंद्रित करती है। उन्होंने सरकार की उत्पादन से जुड़ी पहल (पीएलआई) योजनाओं और भारत के विशाल बाजार और जनसंख्या से लाभ के बारे में भी बताया। कहा, विश्व के साथ हमारे आर्थिक जुड़ाव में हमारी नीति का रुख सुसंगत रहा है। हमने पारस्परिक रूप से लाभकारी आधार पर अन्य देशों के साथ जुड़ाव में हमारा विश्वास बनाए रखा। यह दृष्टिकोण उभरती चुनौतियों को कम करने में सहायक होगा।