केंद्र सरकार के कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों के बीच आठवें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। संयुक्त परामर्शदात्री तंत्र की राष्ट्रीय परिषद (NC-JCM) की ओर से सरकार को सौंपे गए सुझावों में हर 5 वर्ष में पेंशन वृद्धि, वेतन ढांचे में सुधार, और डॉ. एक्रोयड फार्मूले में संशोधन जैसी मांगें प्रमुख हैं। अब इन सुझावों को लेकर संसद में भी सवाल उठने लगे हैं।
राज्यसभा में उठा सवाल
मंगलवार को राज्यसभा सांसद भुबनेश्वर काल्निता ने सरकार से पूछा कि क्या आठवें वेतन आयोग को लेकर कोई अधिसूचना जारी की गई है और क्या कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के सुझावों को शामिल किया गया है।
इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि विभिन्न हितधारकों से सुझाव लिए गए हैं, जिनमें रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) और राज्य सरकारें शामिल हैं। विशेष रूप से NC-JCM की ओर से प्राप्त सुझावों को विचाराधीन रखा गया है।
प्रमुख सुझाव क्या हैं?
1. पेंशन और वेतन ढांचे में बदलाव
- हर 5 वर्ष में पेंशन पुनरीक्षण का प्रावधान।
- वेतन, भत्तों और अन्य सेवा उपरांत लाभों की मौजूदा संरचना की व्यापक समीक्षा।
2. डॉ. एक्रोयड फॉर्मूला में संशोधन की मांग
- 1957 के 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुरूप “सम्मानजनक जीवनयापन वेतन” की अवधारणा पर न्यूनतम वेतन निर्धारण।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुरूप वेतन संरचना तैयार करना।
3. वेतन संरचना और ग्रेड लेवल का विलय
- लेवल-1 को लेवल-2 में, लेवल-3 को लेवल-4 में, और लेवल-5 को लेवल-6 में विलय का प्रस्ताव।
- इससे वेतनमानों की विसंगतियां दूर करने का प्रयास।
4. MACP योजना में संशोधन
- मौजूदा Modified Assured Career Progression (MACP) योजना की विसंगतियों को दूर करना।
- न्यूनतम 3 पदोन्नतियों की सिफारिश, साथ ही स्पष्ट पदानुक्रम की मांग।
5. राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी के लिए संशोधित इकाई मापदंड
- वर्ष 2019 की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के अनुसार, परिवार इकाइयों की खपत माप को 3 से बढ़ाकर 6 यूनिट करना।
किन कर्मियों के लिए दिए गए सुझाव?
- केंद्र सरकार के औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी
- अखिल भारतीय सेवाओं, रक्षा बलों, अर्धसैनिक बलों, और ग्रामीण डाक सेवकों से जुड़े कार्मिक
- केंद्र शासित प्रदेशों, भारतीय लेखा परीक्षा, उच्चतम न्यायालय, और विनियामक निकायों (RBI को छोड़कर) के कर्मचारी
- स्वायत्त निकायों और संस्थानों में कार्यरत कर्मचारी
क्या कहती है मांग का सार?
NC-JCM की मांग है कि 1 जनवरी 2026 से प्रभावी नए वेतनमान की घोषणा की जाए, जिसमें विकास की बदलती आवश्यकताओं, आर्थिक वास्तविकताओं, और सामाजिक जीवन स्तर में आए परिवर्तनों को शामिल किया जाए।