ऑस्ट्रेलिया चुनाव में प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की लेबर पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की है। चुनाव आयोग के मुताबिक 150 सीटों में से लेबर पार्टी को 89 सीटों पर, जबकि विपक्षी लिबरल-नेशनल गठबंधन को 36 सीटों पर जीत मिली है। हालांकि, वोटों की गिनती अभी जारी है। बहुमत के लिए 76 सीटों की जरूरत होती है। इस जीत के साथ ही एंथनी अल्बनीज 21 साल में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता होंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्बनीज को जीत के लिए बधाई दी और कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए काम करते रहेंगे। इसे पहले 2004 में लिबरल पार्टी के जॉन हावर्ड लगातार दूसरी बार चुनाव जीते थे। वहीं, विपक्षी लिबरल-नेशनल गठबंधन के नेता पीटर डटन ने चुनाव में हार स्वीकार करते हुए कहा, हमने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, मैं इसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में हर तीन साल में चुनाव होते हैं। देश में 28 मार्च 2025 को संसद भंग कर दी गई थी। पिछली बार 2022 में हुए चुनाव में लेबर पार्टी को 77 और लिबरल-नेशनल गठबंधन को 58 सीटें मिली थीं। इस बार मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की लेबर पार्टी और विपक्षी नेता पीटर डटन के लिबरल-नेशनल गठबंधन के बीच था।गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में भारत की तरह ही दो सदन हैं। ऊपरी सदन को सीनेट और निचले सदन को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स कहा जाता है। निचले सदन में बहुमत पाने वाली पार्टी या गठबंधन का नेता ही प्रधानमंत्री बनता है। इसकी 150 सीटों के लिए शनिवार को वोटिंग हुई है। गिनती जारी है। निचले सदन के साथ ही ऊपर सदन की 76 में से 40 सीटों के लिए भी शनिवार को ही वोटिंग हुई। इस सदन में चुने गए सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है। हर 3 साल में आधे सदस्य बदल जाते हैं।पीएम अल्बनीज ने कहा, मतदाताओं ने ऊंची कीमतों और आवास की कमी जैसी समस्याओं के बीच सरकार पर भरोसा जताया है। लोग जानते थे कि इनका कारण अंतरराष्ट्रीय असर था। मेरी पूरी कोशिश होगी कि नए कार्यकाल में मतदाताओं का भरोसा बनाए रखे हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि महंगाई और देश में बढ़ती आवास की समस्या के साथ तेज मुद्रा स्फीति से राहत दिलाऊंगा। उन्होंने कहा, मैं लोगों के भरोसे पर खरा उतरने के लिए काम करूंगा। मौजूदा सरकार को महामंदी की चुनौती से निपटना है। विशेषज्ञों के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को 2022 में लेबर पार्टी के सत्ता में आने के बाद से हर साल 20 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का नुकसान हो रहा है।