Saturday, July 27, 2024

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अल्पसंख्यक बनाम दलित के संग्राम में फंसीं सीएम ममता

कभी टीएमसी प्रमुख ममता ने नंदीग्राम किसान आंदोलन को सियासी हथियार बना कर राज्य में तीन दशक से भी अधिक पुराने वाम दलों के शासन का अंत किया था। अब भाजपा की योजना संदेशखाली को राज्य का दूसरा नंदीग्राम बना कर राज्य में टीएमसी के शासन को कमजोर करने की है। संदेशखाली में दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न की शिकार होने वाली महिलाएं दलित बिरादरी की हैं, जिनकी आबादी राज्य की आबादी की एक चौथाई है। इस मामलें में अदालत का सुर बेहद तल्ख है। मानवाधिकार आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, महिला आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग अपनी-अपनी टीमें यहां भेज चुकी हैं। राज्य में संदेशखाली की घटना को ले कर बीते एक पखवाड़े से राजनीति गर्म है। यहां टीएमसी कार्यकर्ताओं की शिकार दलित बिरादरी की महिलाएं हुई हैं। यही कारण है कि पीएम की रैली उत्तर 24 परगना स्थित संदेशखाली के पास में रखी गई है। जाहिर तौर पर चूंकि महिला सम्मेलन है, ऐसे में पीएम मोदी महिला सशक्तिकरण से संबंधित अपनी सरकार की दस साल की उपलब्धियां गिनाते हुए संदेशखाली की घटना का भी जिक्र करेंगे। सीएम की मुश्किल बड़ी क्यों? : राज्य में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी की हिस्सेदारी 28 फीसदी है। तीन दशक से अधिक शासन में रहने वाले वाम दलों ने भी राज्य में मुस्लिम केंद्रित राजनीति की। सत्ता बरकरार रखने के लिए ममता बनर्जी ने भी राजनीति का वही मॉडल अपनाया है। इस बार समस्या यह है कि संदेशखाली में उत्पीड़न की शिकार महिलाएं दलित बिरादरी से हैं, जिनकी आबादी में हिस्सेदारी मुसलमानों के बराबर करीब एक चौथाई है। अदालत के तल्ख सुर और विभिन्न आयोगों की सक्रियता के बाद इस मामले में कुछ टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, हालांकि मामले का मुख्य अभियुक्त शाहजहां शेख अब भी फरार है। इसी बीच अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 मार्च को संदेशखाली के करीब एक महिला सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं।

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