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अमेरिकी सांसद बोले – ट्रंप H-1B वीजा शुल्क पर पुनर्विचार करें, भारत से संबंधों की अहमियत बताई

वॉशिंगटन। अमेरिका के कई प्रभावशाली सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपील की है कि वे H-1B वीजा शुल्क में हालिया बढ़ोतरी के फैसले पर पुनर्विचार करें। सांसदों ने कहा कि इस कदम से अमेरिकी कंपनियों, विशेष रूप से टेक्नोलॉजी सेक्टर, और भारत जैसे सहयोगी देशों के साथ आर्थिक संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के द्विदलीय समूह ने ट्रंप प्रशासन को भेजे पत्र में कहा है कि H-1B वीजा शुल्क बढ़ाने का फैसला “अल्पकालिक राजस्व लाभ के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को कमजोर करने वाला कदम” साबित हो सकता है। सांसदों का कहना है कि यह निर्णय न केवल अमेरिकी उद्योग के लिए महंगा साबित होगा, बल्कि अमेरिका-भारत संबंधों पर भी “अनावश्यक दबाव” डालेगा।
“भारत के साथ साझेदारी अमेरिका की ताकत”
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख सांसदों ने कहा कि भारत, अमेरिका का सबसे विश्वसनीय साझेदार है, और टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और नवाचार के क्षेत्र में दोनों देशों की भागीदारी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अहम भूमिका निभा रही है।
एक वरिष्ठ सांसद ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच संबंध केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि प्रतिभा, तकनीक और व्यापार पर आधारित हैं। ऐसे में H-1B शुल्क बढ़ाना उन पेशेवरों के लिए बाधा बनेगा, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नवाचार और प्रगति ला रहे हैं।”

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में H-1B वीजा श्रेणी के तहत नई और नवीकरणीय आवेदनों पर शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि की थी। यह वीजा मुख्य रूप से भारतीय आईटी पेशेवरों को दिया जाता है, जो अमेरिकी कंपनियों में तकनीकी सेवाओं से लेकर इंजीनियरिंग और डेटा प्रबंधन तक की जिम्मेदारी संभालते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नए शुल्क से भारतीय आईटी कंपनियों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा, जिससे वे अमेरिका में नए प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले दो बार सोचेंगी।

सांसदों ने चेतावनी दी कि यदि वीजा शुल्क बढ़ोतरी पर रोक नहीं लगाई गई तो अमेरिकी कंपनियों को कुशल तकनीकी प्रतिभा की कमी का सामना करना पड़ सकता है। “इस कदम से भारतीय पेशेवरों के अमेरिका आने में बाधा बढ़ेगी, जिससे नवाचार, सॉफ्टवेयर विकास और अनुसंधान प्रभावित होंगे,” सांसदों ने कहा।

अमेरिका में बसे भारतीय आईटी पेशेवरों और व्यापारिक संगठनों ने भी इस फैसले को ‘प्रतिभा के खिलाफ कर’ बताया है। इंडियन अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा कि यह नीति अमेरिका की “ओपन और मेरिट-बेस्ड इमीग्रेशन पॉलिसी” की भावना के विपरीत है।
ट्रंप ने फिलहाल किसी बदलाव की घोषणा नहीं की है, लेकिन उन्होंने यह संकेत दिया है कि प्रशासन “वीजा नीति की समग्र समीक्षा” कर रहा है ताकि यह अमेरिकी श्रमिकों और उद्योगों दोनों के हित में हो। उन्होंने कहा, “हम भारत को एक मूल्यवान साझेदार मानते हैं। किसी भी निर्णय से पहले हम दोनों देशों के आर्थिक हितों को ध्यान में रखेंगे।”
गौरतलब है कि अमेरिका में जारी टेक सेक्टर में प्रतिभा की मांग के कारण भारत हर साल H-1B वीजा आवेदनों में सबसे आगे रहता है। अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में जारी कुल H-1B वीजाओं में से लगभग 75 प्रतिशत भारतीय पेशेवरों को मिलीं।
सांसदों की अपील के बाद उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप प्रशासन इस निर्णय पर कुछ नरमी दिखा सकता है या शुल्क संरचना में संशोधन कर सकता है।

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