अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अमेरिका के वीजा नीति पर सख्त रुख अपनाने का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिकी वीजा उन लोगों के लिए एक विशेषाधिकार है जो अमेरिकी कानूनों और मूल्यों का सम्मान करते हैं, लेकिन यह सभी आवेदकों को दिया जाने वाला अधिकार नहीं है। फॉक्स न्यूज के लिए लिखे एक संपादकीय में रुबियो ने सख्त अप्रवासन नीतियों को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप का समर्थन किया। गौरतलब है कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से बड़ी संख्या में अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से निकाला गया है। फलस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों को भी निर्वासित किया गया है। लेख में मार्को रुबियो ने लिखा कि ‘अमेरिका आना कोई अधिकार नहीं है। यह उन लोगों को दिया जाने वाला विशेषाधिकार है जो हमारे कानूनों और मूल्यों का सम्मान करते हैं और विदेश मंत्री के तौर पर मैं इसे कभी नहीं भूलूंगा।’ रुबियो साल 2011 से 2015 तक फ्लोरिडा से सीनेटर रहे। उन्होंने कहा कि ‘आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम के तहत आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले या आतंकवाद का समर्थन देने वाले लोग अमेरिकी वीजा के लिए अयोग्य हैं। ये कानून हमें वीजा रद्द करने का भी अधिकार देता है।’ ट्रंप प्रशासन में अप्रवासियों के खिलाफ हो रही सख्ती और जांच का बचाव करते हुए रुबियो ने कहा कि वीजा की जांच लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। अमेरिकी वीजा धारकों को पता होना चाहिए कि वीजा मिलने के बाद भी अमेरिकी सरकार की जांच समाप्त नहीं होती है। सरकार, कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों की मदद से किसी भी संभावित खतरे या नियमों का उल्लंघन करने वाले वीजा धारकों की निरंतर निगरानी करती है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी लोगों की सुरक्षा से समझौता होता है तो सरकार के पास विशेषाधिकार है कि वह वीजा रद्द कर सकती है।
अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में इस्राइल विरोधी प्रदर्शन करने वाले छात्रों को निर्वासित किए जाने पर मार्को रुबियो ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने यहूदी छात्रों को डराया धमकाया। विश्वविद्यालय परिसर बंद कर दिए और राजमार्गों को अवरुद्ध किया। ट्रंप प्रशासन इन गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।