अमेरिका में प्रवासन नीति को लेकर जारी बहस के बीच पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर तीखी टिप्पणी की है। एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अमेरिका को “सोमाली प्रवासी नहीं चाहिए” और ऐसे लोगों को अपने देश वापस जाकर उसे “ठीक करना चाहिए।” उनकी इस टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है और इसे प्रवासन मुद्दे पर उनकी कठोर लाइन की दोहराव के रूप में देखा जा रहा है।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को उन प्रवासियों से कोई लाभ नहीं, जो अपने देश की समस्याओं से भागकर आते हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी देश में अराजकता या अस्थिरता है, तो उसकी जिम्मेदारी वहीं के नागरिकों को लेनी चाहिए और उन्हें खुद ही अपने देश को सुधारना चाहिए, न कि अमेरिका पर बोझ बनना चाहिए। ट्रंप ने दावा किया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका में प्रवासन नियम बेहद सख्त किए जाएंगे और गैरकानूनी आव्रजन को ‘पूरी तरह खत्म’ कर दिया जाएगा।
सभा में उपस्थित समर्थकों के बीच ट्रंप की इस टिप्पणी पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए उनकी कठोर प्रवासन नीति की रणनीति का हिस्सा है। ट्रंप इससे पहले भी कई बार मुस्लिम-बहुल देशों के प्रवासियों पर प्रतिबंध, सीमा सुरक्षा को कड़ा करने और अवैध प्रवासियों को देश से निकालने की बात कर चुके हैं।
उनके बयान के बाद मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि सोमालिया जैसे संघर्षग्रस्त देशों के लोग सुरक्षा और जीवन बचाने के लिए अमेरिका आते हैं, और उन्हें अपराधियों की तरह पेश करना मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। कई समूहों ने इसे नस्लीय और धार्मिक आधार पर कटु बयानबाजी बताते हुए कहा कि ऐसे शब्द समाज में विभाजन पैदा करते हैं।
दूसरी ओर, ट्रंप के समर्थक इस बयान को अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम बताते हैं। उनका दावा है कि अनियंत्रित आव्रजन से सुरक्षा, आर्थिक संसाधनों और स्थानीय रोजगार पर दबाव बढ़ता है। समर्थक इसे ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति का हिस्सा मानते हैं।





