नई दिल्ली में शुक्रवार को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) कार्य समूह की बैठक हुई। इस दौरान अमेरिका और भारत ने एक-दूसरे के साथ मिलकर डिजिटल कनेक्टिविटी और आईसीटी बुनियादी ढांचे को सुरक्षित, विश्वनीय और एक-दूसरे के साथ जोड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को फिर से मजबूत किया। इसका उद्देश्य डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। बैठक के बाद अमेरिका और भारत ने संयुक्त बयान दिया, जिसमें कहा गया कि 2024 में हुई इस बैठक में 5जी और 6जी वायरलेस नेटवर्क को सुरक्षित और लचीला बनाने पर चर्चा हुई। इसमें दोनों देशों के निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (ओपन आरएएन) और क्वांटम डिजिटल प्रतिभा जैसे खुले और जुड़ने योग्य तरीकों पर बात की गई। इसके अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर सहयोग और भारत और अमेरिका के लिए नई तकनीकी अवसरों को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। बैठक में दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और सेमीकंडक्टर कंपनियों की भूमिका पर भी जोर दिया गया, साथ ही सीमा पार डेटा प्रवाह, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के उपायों को लेकर समर्थन की बात की गई।
दोनों देशों की सरकारों ने आगे कहा कि उन्होंने एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के सही उपयोग और जोखिम प्रबंधन के लिए एक स्वैच्छिक और संदर्भ-विशिष्ट तरीका अपनाने की जरूरत को स्वीकार किया है। यह तरीका नवाचार को बढ़ावा देगा और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करेगा, जबकि एआई के दुरुपयोग से सुरक्षा भी प्रदान करेगा। इसके साथ ही, उन्होंने एआई सिस्टम और इसके फायदों तक सभी के लिए समान वैश्विक पहुंच बढ़ाने के महत्व को भी स्वीकार किया।बैठक में अमेरिका और भारत की सरकारों ने कहा कि दूरसंचार आपूर्तिकर्ताओं की विविधता बढ़ाने से लागत कम करने, लचीलापन बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और विश्वसनीय आईसीटी के विकल्प बढ़ाने में मदद मिलती है। अमेरिका और भारत ओपन आरएएन (खुले रेडियो एक्सेस नेटवर्क) को अपनाने को बढ़ावा देना चाहते हैं, जिसमें भारत में ओपन आरएएन अकादमी की स्थापना पर लगातार चर्चा भी शामिल है।