अमेरिकी सरकार ने एक भारतीय कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारतीय कंपनी पर यह प्रतिबंध ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल का व्यापार करने के आरोप में लगाया गया है। जिस भारतीय कंपनी पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है, वह अटलांटिक नेविगेशन ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड है। यह कंपनी पोत विगोर और आईएसएम का प्रबंधन करती है। आरोप है कि ये पोत ईरानी तेल के परिवहन में शामिल हैं।अमेरिका के वित्त विभाग ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि ईरान से तेल खरीदने या ईरानी तेल का व्यापार करने के लिए चार कंपनियों और तीन जहाजों पर प्रतिबंध लगाया गया है। अमेरिका ने कहा कि इन कंपनियों और जहाजों के जरिए ईरान की सरकार अरबों डॉलर का राजस्व कमाती थी। अमेरिकी सरकार में आतंकवाद और वित्तीय खुफिया मामलों के अधिकारी ब्रैडली टी स्मिथ ने कहा, ‘ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के विकास, अपने हथियार प्रणालियों के प्रसार और अपने प्रॉक्सी को समर्थन देने के लिए जहाजों, कंपनियों के अपने नेटवर्क पर निर्भर है।’अमेरिकी सरकार ने जिन अन्य कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें सेशेल्स की कंपनी शाइनी सेल्स शिपिंग लिमिटेड, सूरीनाम की कंपनी गैलेक्सी मैनेजमेंट एनवी और हांगकांग स्थित ब्रेकलिन हांगकांग कंपनी लिमिटेड शामिल हैं। अमेरिका ने आरोप लगाया कि वे सभी ईरान से पेट्रोलियम या पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद, अधिग्रहण, बिक्री, परिवहन या विपणन के लेन-देन में शामिल हैं। साथ ही कैमरून के झंडे वाले जहाज, पनामा के झंडे वाले जहाज पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंध के बाद ईरान और रूस को अपने तेल और गैस के व्यापार में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में इन दोनों देशों ने पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने का एक तरीका निकाला है, जिसके तहत ये देश अक्सर ‘डार्क फ्लीट’ टैंकरों का इस्तेमाल करते हैं। ये डार्क फ्लीट अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों के बाहर अवैध रूप से काम करती हैं। इनके संचालन के तरीके अस्पष्ट और गुप्त हैं। इन डार्क फ्लीट में कई छोटे जहाज होते हैं, जिनके द्वारा ईरान और रूस अपना तेल और गैस अन्य देशों को बेचते हैं।