नई दिल्ली। भारतीय मूल के नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने अमेरिका छोड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वह अब यूरोप के एक देश — फ्रांस — में स्थायी रूप से रहेंगे। बनर्जी ने कहा कि यह फैसला उन्होंने व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों कारणों से लिया है। उनका मानना है कि अब उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू करने का समय आ गया है।
बनर्जी, जिन्हें 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला था, अब तक अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। लंबे समय तक अमेरिका में अकादमिक और शोध कार्य करने के बाद उन्होंने यूरोप जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अब वे समाज, अर्थव्यवस्था और नीति निर्माण पर अधिक फील्ड-आधारित रिसर्च करना चाहते हैं, जिसके लिए यूरोप उपयुक्त स्थान होगा।
अभिजीत बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “पिछले दो दशकों से मैं अमेरिका में रहा हूं, लेकिन अब मुझे महसूस होता है कि बदलाव का समय आ गया है। मैं ऐसा वातावरण चाहता हूं जहां अकादमिक जीवन के साथ जीवन की सहजता भी बनी रहे।” उन्होंने बताया कि फ्रांस में उन्हें न केवल नई शोध संभावनाएं दिख रही हैं, बल्कि वहाँ की संस्कृति और जीवनशैली भी उन्हें आकर्षित करती है।
सूत्रों के मुताबिक, बनर्जी फ्रांस की एक प्रतिष्ठित आर्थिक संस्था में शोध कार्य से जुड़ेंगे और विकास अर्थशास्त्र, गरीबी उन्मूलन और सामाजिक नीतियों पर काम जारी रखेंगे। उनकी पत्नी और नोबेल सहविजेता एस्थर डुफ्लो पहले से ही फ्रांस से गहराई से जुड़ी हैं, और दोनों अब वहीं एक साथ अपने शोध को आगे बढ़ाएंगे।
अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो ने ‘Poor Economics’ और ‘Good Economics for Hard Times’ जैसी चर्चित पुस्तकें लिखी हैं, जो दुनिया भर में नीति-निर्माताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनीं। दोनों लंबे समय से विकासशील देशों में गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी नीतियों पर काम कर रहे हैं।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बनर्जी का यूरोप स्थानांतरण वैश्विक आर्थिक शोध जगत के लिए बड़ा बदलाव है। उनका अनुभव और दृष्टिकोण यूरोप के विकास नीति संवाद को नई दिशा दे सकता है।
बनर्जी ने अंत में कहा, “मैं अपने जीवन का अगला चरण अधिक सृजनात्मक और मानवीय दृष्टिकोण से जीना चाहता हूं। अमेरिका ने मुझे बहुत कुछ दिया, लेकिन अब आगे बढ़ने का समय है।”





