Thursday, November 13, 2025

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अमेरिका की बड़ी कार्रवाई, भारत समेत 7 देशों की 32 कंपनियों पर लगा प्रतिबंध

वॉशिंगटन। अमेरिका ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रमों से जुड़े नेटवर्क पर कड़ा कदम उठाते हुए भारत समेत सात देशों की 32 कंपनियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। वॉशिंगटन का आरोप है कि इन कंपनियों ने ईरान को मिसाइल और हथियार निर्माण में मदद पहुंचाई, जिससे मध्य एशिया और पश्चिम एशिया में अस्थिरता बढ़ सकती है।

अमेरिकी विदेश विभाग और वित्त विभाग ने संयुक्त रूप से जारी बयान में कहा कि यह कदम ईरान की सैन्य क्षमता को सीमित करने और उसके हथियार प्रसार को रोकने के लिए उठाया गया है। प्रतिबंधों के तहत सूचीबद्ध कंपनियों की सभी अमेरिकी संपत्तियां फ्रीज कर दी जाएंगी और अमेरिकी नागरिकों को इनके साथ किसी भी प्रकार के वित्तीय या कारोबारी लेनदेन की अनुमति नहीं होगी।

अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इन 32 संस्थाओं में भारत, चीन, रूस, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सिंगापुर और जर्मनी की कंपनियां शामिल हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने ईरान के रक्षा उद्योग को तकनीकी उपकरण, पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और मशीनरी की आपूर्ति की, जो मिसाइल और ड्रोन निर्माण में उपयोग किए गए।

विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, “अमेरिका उन सभी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करेगा जो ईरान के घातक हथियार कार्यक्रम को किसी भी रूप में सहयोग देती हैं। यह कदम हमारी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का हिस्सा है कि हम क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करें।” उन्होंने यह भी कहा कि ईरान लगातार अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहा है और अपने ड्रोन व मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ावा दे रहा है।

अमेरिका लंबे समय से ईरान पर आरोप लगाता रहा है कि वह मध्य पूर्व में अपने प्रॉक्सी ग्रुप्स के जरिए अस्थिरता फैला रहा है और ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल क्षेत्रीय हमलों के लिए कर रहा है। हाल के महीनों में यमन, सीरिया और लेबनान में हुई ड्रोन गतिविधियों को लेकर भी अमेरिका ने ईरान पर जिम्मेदारी तय की थी।

रिपोर्टों के अनुसार, प्रतिबंध सूची में शामिल कुछ भारतीय कंपनियों पर इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स और मशीन पार्ट्स की आपूर्ति करने का संदेह है, जो बाद में ईरान के डिफेंस नेटवर्क तक पहुंचे। हालांकि भारत सरकार ने इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी

अमेरिकी विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम केवल ईरान को नहीं, बल्कि दुनिया भर में उसके सहयोगी नेटवर्क को भी संदेश देने के लिए उठाया गया है। यह बताता है कि अमेरिका ईरान के मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ी किसी भी आर्थिक या तकनीकी सहायता को बर्दाश्त नहीं करेगा।

अमेरिकी प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में इस नेटवर्क से जुड़ी और कंपनियों की पहचान की जा सकती है और उन पर भी समान प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

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