अमेरिका में एक नया बिल पेश किया गया है जो रूस से तेल, गैस, यूरेनियम या अन्य वस्तुएं खरीदने वाले देशों पर 500% तक का आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखता है। इस बिल के पारित होने की संभावनाएं मजबूत मानी जा रही हैं, क्योंकि इसे अमेरिकी संसद के 80 से अधिक सीनेटरों का समर्थन प्राप्त है, जिससे यह राष्ट्रपति की वीटो शक्ति को भी पार कर सकता है।
इस बिल को लेकर भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि भारत रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता है। हालांकि भारत ने इस मुद्दे पर पहले ही अमेरिकी नेताओं से संवाद शुरू कर दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस विवादित बिल को लेकर स्पष्ट और सधी हुई प्रतिक्रिया दी है।
जयशंकर ने कहा, “हम पूरी तरह सतर्क हैं। जो भी चीज हमारे राष्ट्रीय हितों को प्रभावित कर सकती है, वो हमारे लिए महत्वपूर्ण है।” उन्होंने बताया कि अमेरिका में भारतीय दूतावास और राजदूत लगातार सीनेटर लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं, जो इस बिल को लेकर मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को अमेरिकी पक्ष के सामने स्पष्ट रूप से रखा है। जयशंकर ने कहा, “हमने अपनी ऊर्जा और रणनीतिक आवश्यकताओं को लेकर अमेरिका से बातचीत की है। अगर ऐसी कोई स्थिति आती है जो भारत के हितों पर असर डालती है, तो हम उसका उचित जवाब देंगे।”
यह बिल अगर कानून बनता है, तो भारत जैसे देशों पर सीधा असर पड़ सकता है जो रूस से तेल और अन्य ऊर्जा संसाधन खरीदते हैं। फिलहाल, भारत अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए यह संकेत दे रहा है कि वह किसी भी संभावित चुनौती से निपटने के लिए तैयार है।