बांग्लादेश में अदाणी समूह के साथ हुए बिजली आपूर्ति समझौते पर अब जांच शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में हुए इस करार को लेकर देश में राजनीतिक हलचल तेज है। नई सरकार ने संकेत दिए हैं कि यदि जांच में भ्रष्टाचार या वित्तीय अनियमितता साबित होती है, तो यह समझौता रद्द किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, जांच समिति इस बात की पड़ताल कर रही है कि अदाणी समूह के साथ बिजली आयात अनुबंध में मूल्य निर्धारण, आपूर्ति शर्तों और भुगतान प्रक्रिया में कोई अनियमितता तो नहीं हुई। रिपोर्ट के अनुसार, इस करार के तहत भारत के झारखंड स्थित गोददा थर्मल पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की गई थी, जिसकी लागत को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
विपक्षी दलों का आरोप है कि पूर्व सरकार ने इस करार में पारदर्शिता नहीं बरती और देश के हितों की अनदेखी की। उनका कहना है कि बिजली दरें बाजार मूल्य से अधिक तय की गईं, जिससे बांग्लादेश को आर्थिक नुकसान हुआ। इसी के चलते नई सरकार ने करार की जांच के आदेश दिए हैं।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि जांच निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित होगी। “यदि किसी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार के सबूत मिलते हैं, तो समझौता स्वतः निरस्त कर दिया जाएगा,” उन्होंने कहा।
अदाणी समूह की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परियोजना पूरी तरह पारदर्शी रही है और सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग का उदाहरण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह जांच न केवल भारत-बांग्लादेश के ऊर्जा संबंधों पर असर डाल सकती है, बल्कि विदेशी निवेशकों के विश्वास पर भी प्रभाव डाल सकती है। फिलहाल, जांच समिति को एक महीने में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।





