अखिलेश यादव के बयानों से साफ है कि वे बसपा के साथ गठबंधन की संभावना को नकारते हुए चुनावी रणनीति में सक्रिय रहना चाहते हैं। उनका कहना है कि उनके प्रत्याशियों की उपस्थिति बीजेपी को फायदा पहुंचा सकती है। इससे उनके द्वारा बयानित किए गए चुनावी रणनीतिक उद्देश्यों का संवेदनशील विश्लेषण किया जा सकता है।
बसपा द्वारा तेलंगाना में बीआरएस के साथ गठबंधन की घोषणा का उल्लेख है। इससे बसपा की राजनीतिक दिशा में एक बदलाव का संकेत मिलता है। साथ ही, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद द्वारा भाजपा के साथ एक और लोकसभा सीट की मांग का उल्लेख भी है, जो राजनीतिक समीकरण में एक महत्वपूर्ण घटक हो सकता है।