रूद्रपुर।शहर की मुख्य रामलीला में मंगलवार की लक्ष्मण मेघनाद युद्ध, मेघनाद ने लक्ष्मण पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग करना, लक्ष्मण की गंभीर अवस्था देखकर राम का विचलित होना, हनुमान जी संजीवनी बूटी लाना, मेघनाद का यज्ञ विध्वंस, मेघनाद को रावण द्वारा अंतिम विदायी, मेघनाद-सुलोचना संवाद, मेघनाद-लक्ष्मण युद्ध, मेघनाद वध तक की बेहद सुंदर लीला का मंचन हुआ। प्रभु श्रीराम की लीला प्रारंभ होने से पहले मुख्य अतिथि रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा ने किया। कमेटी के लोगों ने विधायक समेत अन्य का स्वागत कर सम्मानित किया। इस दौरान विधायक अरोरा ने रामलीला मैदान के सौंदर्यीकरण के लिए 11 लाख रुपए देने की घोषणा की। इसके बाद श्रीराम लीला के पहले दृश्य में रावण को यह सूचना मिली कुभंकर्ण राम के हाथो मारा गया है। इस पर रावण मेघनाद को युद्ध भूमि में भेजता है। राम दल की तरफ से युद्ध की कमान लक्ष्मण संभालते हैं, उनके साथ हनुमान को भी भेजा जाता है। दोनों तरफ से भीषण युद्ध होता है। मेघनाद लक्ष्मण पर कई प्रहार करता है लेकिन हनुमान के साथ होनें की वजह से उसके तमाम प्रयास विफल हो जाते है। मेघनाद अपनें सेनापति आकंपन को हनुमान को युद्ध करते-करते कहीं अन्यत्र ले जानें की योजना बनाता है। आकंपन हनुमान को युद्ध के लिये ललकार कर उन्हें लक्ष्मण से दूर ले जाता है। मौके का फायदा उठाकर मेघनाद लक्ष्मण पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग कर जख्मी कर देता है। मेघनाद लक्ष्मण को उठाकर समुंद्र में फैंकना चाहता है, लेकिन शेष नाग का अवतार लक्ष्मण को वह जमीन से नहीं उठा पाता। तभी हनुमान वहां पहुंच जाते है, वह लक्ष्मण जी को उठाकर रामदल में ले आते है। राम लक्ष्मण की गंभीर हालत देखकर विचलित हो जाते है। वह विलाप करनें लगते है। विभीषण उन्हें लंका से वैद्य सुशेण जी को लेकर आनें को कहते है। हनुमान लंका से सुशेण वैद्य को लेकर आते है। सुशेण राम को बताते हैं कि यदि रात्रि बीतनें से पहले ही यदि कोई व्यक्ति संजीवनी बूटी ले आये, तो लक्ष्मण पुनः स्वस्थ हो जायेंगें जबकि देर होनें पर उनकी मृत्यु तय है। राम एक बार फिर बजरंगबली हनुमान को संजीवनी बूटी लानें की जिम्मेवारी सौंपते है।हनुमान संजीवनी बूटी ले आते है तो वैद्य सुशेण लक्ष्मण को पुनः स्वस्थ कर देते है। लंका में यह समाचार पहुंचता है तो मेघनाद अपनी कुलदेवी निकुंभा से वरदान पानें के लिये एक यज्ञ का आयोजन करता है। विभीषण वहां भी लक्ष्मण व हनुमान को लेकर पहुंच जाता है। हनुमान द्वारा यज्ञ विध्वंस कर दिया जाता है। यज्ञ भंग होने के बाद मेघनाद रावण के पास पहुंचताऔर रावण को समझानें का प्रयास करता है। लक्ष्मण साक्षात शेष नाग का अवतार है। रावण मेघनाद से कहता है कि जाओ मुझे तुम्हारे मशविरे की जरूरत नहीं, यह युद्ध रावण का है, रावण इसको अकेला ही लड़ लेगा। लेकिन मेघनाद युद्ध भूमि व पितृ कर्तव्य से पीठ नहीं दिखायेगा। निश्चित मौत तय होनें पर भी युद्ध अवश्य करेगा। मेघनाद पिता रावण, माता मंदोदरी व पत्नी सुलोचना से अंतिम विदायी लेकर युद्धभूमि पहुंच जाता है, मेघनाद युद्ध में लक्ष्मण के हाथो मारा जाता है। गणेश भगवान की भूमिका में आषीश ग्रोवर, राम की भूमिका में मनोज अरोरा, लक्ष्मण की भूमिका में गौरव राज बेहड़, हनुमान – सुशील गाबा, रावण की भूमिका में विशाल भुड्डी, मेघनाद की भूमिका मे रमन अरोरा, विभीषण की भूमिका में सचिन आनन्द, सुशेण वैद्य- मनोज मुंजाल, सुग्रीव- पवन गाबा पल्ली, अंगद- मोहन अरोरा, तारा- सुमित आनन्द, सुलोचना संजीव आनन्द नें शानदार अभिनय कर उपस्थित हजारों जनता का मन मोह लिया। संचालन मंच सचिव केवल कृष्ण बत्रा एवं संदीप धीर नें किया।
इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के सरंक्षण व विधायक किच्छा तिलक राज बेहड़, अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष नरेश शर्मा, बीना बेहड़, सुभाष खंडेलवाल, केवल कृष्ण बत्रा, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबड़ा, महावीर आजाद, राकेश सुखीजा, गौरव तनेजा,पत्रकार परमपाल सुखीजा, संजीव आनन्द, हरीश सुखीजा, राम कृष्ण कन्नौजिया, अनिल तनेजा, रमन अरोरा, कुक्कू,सौरभ बेहड़, मनोज गाबा,अमित चावला, पवन गाबा पल्ली, राजकुमार कक्कड़, कपीश सुखीजा, बिट्टू ग्रोवर,सचिन तनेजा,वैभव भुड्डी, रोहित नागपाल, अमन गुम्बर, गोगी, सन्नी आहूजा, नीलम अरोरा, शीतल गाबा,मीनाक्षी गाबा, पूर्वा बेहड़, अनीशा बेहड़, भावना सुखीजा, किरन सुखीजा आदि सहित हजारो क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
राम के रोल में मनोज अरोरा नें छोड़ी अमिट छाप
श्रीराम लीला के प्रमुख पात्र प्रभु श्रीराम चन्द्र जी का किरदार सुविख्यात कलाकार मनोज अरोरा निभा रहें है। 1992 से सबसे पहले वानर सेना, सुलोचना, तारा, माया, वेदवती, 13 वर्ष तक लगातार चार पात्र सीताजी, श्रवण, भरत, नारद जी के किरदार निभाये। विगत 9 वर्षों से प्रभु श्रीराम चन्द्र का किरदार निभा रहें है। मनोज अरोरा नें धर्म व संस्कृति का प्रचार करनें के लिये श्रीरामलीला जैसे आयोजनों की विषेश महत्ता बताते है। बीती रात लक्ष्मण मूर्छा के दृष्य में उनके द्वारा भावुक अंदाज में गाये गये गानों जिंदगी के देने वाले भाई मेरा छीन के बता तु क्या मिला, मेरे भाई लक्ष्मण मुझे न रूलाओ, मैं रोरो पुकारू, जिया भर भर आये एवं आ जाओ मेरे बजरंग बली नें पूरे माहौल को संजीदा कर दिया।
रावण के मेघनाद को अंतिम विदायी को याद रखेंगें दर्शक
लीला में रावण द्वारा मेघनाद की अंतिम विदायी के दृष्य को दर्षक बहुत समय तक याद रखेंगें। अपनी निष्चित मृत्यु को आसन्न देखनें के बावजूद मेघनाद युद्धभूमि में जानें से पीछे नहीं हटता, तो वहीं रावण को भी पता था कि अब वह कभी अपने प्रिय पुत्र मेघनाद को नहीं देख पायेगा। राक्षस परिवार के बीच उस समय की स्थिति को आज रावण का किरदार निभा रहे विषाल भुड्डी तथा मेघनाद का किरदार निभा रहे रमन अरोरा ने मानो जीवंत कर दिया। रावण परिवार के पात्रो का अभिनय कर रहे सभी कलाकारो की आंखें भीग गयी।पूरा पंडाल तालियों को गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
श्री सनातन धर्म युवा मंच नें संभाली सुरक्षा व्यवस्था
आज दशहरे से पूर्व रात्रि की रामलीला में उमड़ी भारी भीड़ को संभालना एक दुरूह कार्य था, जिसे श्री सनातन धर्म युवा मंच के कार्यकर्ताओं नें बखूबी संभाल लिया। युवा मंच के लोगो नें सुरक्षा व्यवस्था के साथ साथ ही कुर्सी पास, भारी भीड़ को कुर्सियों की व्यवस्था करके देनें के साथ ही जनता से आ रहे चंदें को मंच संचालक तक पहुंचानें में भी बड़ी भूमिका अदा की। युवा मंच के विजय विरमानी, हरीश अरोरा, कर्मचन्द राजदेव, चिराग कालड़ा, आशीष मिड्ढा,अमित तनेजा, मोहित बत्रा, बंटी अरोरा आदि कार्यकर्ता शामिल हैं।