हल्द्वानी। नियम, कायदे, कानून इसे सिर्फ गरीब लोग ही फोलो करते है। धन्ना सेठ तो इनका तोड़ ढूढ़ने की जुगत में लगे रहते है। वर्ना ऐसा क्या था की संस्थान में हुई श्रमिक की दर्दनाक मौत के बाद भी मालिकान सामने नहीं आ रहे है। उक्त घटना उत्तराखंड स्टोन क्रेशर की है। क्रेशर की मशीन की चपेट में आने वाले व्यक्ति की दर्दनाक मौत के बाद भी उसके परिजनों को उचित मुआवजा मिलने की उम्मीद ढेर होती दिख रही है। बिंदुखत इंदिरानगर द्वितीय निवासी 49 वर्षीय रमेश सिंह देवली जोकि गोरापड़ाव स्थित उत्तराखंड स्टोन क्रेशर में कार्यरत थे, शनिवार की दोपहर को लगभग 12:30 बजे स्टोन क्रेशर में काम करते समय अचानक इनका हाथ स्टोन क्रेशर की मशीन में आ गया, जिन्हें गंभीर अवस्था में उपचार के लिए हल्द्वानी चिकित्सालय ले गए जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जैसे ही रमेश सिंह देवली के परिजनों को घटना की खबर मिली तो परिवार में कोहराम मच गया। उनके पुत्र योगेश देवली, गोविंद देवली तथा पत्नी का रो रो कर बुरा हाल हो गया। वह अपने पीछे 2 पुत्र, एक पुत्री सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी और अभी किसी का भी विवाह नहीं हुआ है, उनके जेष्ठ पुत्र रमेश देवली का आगामी फरवरी माह में विवाह होना था, जिसकी वह अभी से तैयारी में लगे हुए थे, कि आज दोपहर यह दर्दनाक हादसा हो गया। वही बेस अस्पताल में मौत होने के बाद उनका पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम किया गया। जिसके बाद परिवार जन एवं ग्रामीण मृतक के शव को लेकर उत्तराखंड स्टोन क्रेशर में देर शाम पहुंच गए, जिन्होंने क्रेशर के मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जो कि देर रात तक जारी था। मौके पर पहुंचे हल्द्वानी कोतवाल व पुलिस अधिकारी आक्रोशित ग्रामीणों को समझाने में जुटे हुए थे, परंतु वह बिना मुआवजे के शव को उठाने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। इस दौरान उनकी स्टोन क्रेशर के निदेशक विजय सिसोदिया सहित अन्य पाटनरों से वार्ता चल रही थी, प्रदर्शनकारियों में पुष्कर दानू, शिवराज सिंह बिष्ट, कमल दानू, संजय देवली, अशोक बिष्ट, विनोद दानू, सुशील यादव, देव सिंह देवली, किशन बिष्ट, बसंत धामी, रणजीत मेहता सहित भारी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।