हल्द्वानी। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र ने राष्ट्रपति व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को ज्ञापन भेज बिलकिस बानो और उसके परिजनों के साथ जघन्य अपराध करने वाले व 2012 में दिल्ली की किरन छावलाकांड बलात्कार कर हत्या करने वाले बलात्कारियों व हत्यारों को रिहा करने पर आपत्ति जताई है।
कहा है कि अमृत महोत्सव पर 15 अगस्त को क्षमा नीति के तहत कुछ लोगों को जेल से रिहा किया गया। इसमें गुजरात दंगों केदौरान बिलकिस व परिवार के 4 अन्य महिलाओं से बलात्कार तथा परिवार के 3 साल की बच्ची समेत 14 लोगों की हत्या के अपराधियों को रिहा कर दिया गया। इन अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सीबीआई व बॉम्बे हाईकोर्ट कीआपत्ति के बावजूद भी इन्हें रिहा कर दिया गया। इस रिहाई ने आम महिलाओं समेत अल्पसंख्यकों के न्यायालय के प्रति भरोसे को कमजोर किया है। 2002 में हुए इस जघन्य और घृणित अपराध के खिलाफ बिलकिस बानो ने तमाम दबावों, तनावों और धमकियों के बावजूदन्याय की उम्मीद में अपना संघर्ष जारी रखा।
कई सालों के बाद अपराधियों को आजीवन उम्र कैद की सजा हुई थी। मगर अब 14साल बाद अपराधियों’को माफी देकर रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद अपराधियों का सरेआम फूलमालाओं से स्वागत हुआ।जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले इन अपराधियों की रिहाई ने बिलकिस बानो, उसके परिवार व समाज में महिलाओं केअन्दर भय का माहौल बना दिया है। यह फैसला ना केवल अल्पसंख्यकों के खिलाफ भांति भांति के अपराध को उकसावा औरबढ़ावा देने वाला है बल्कि यह समाज की सभी आम महिलाओं के खिलाफ भी अपराधियों को अपराध को प्रेरित करने वाला है।यही नहीं अभी हाल ही में रामरहिम जैसे बलात्कारी बाबा को भी परोल पर छोड़ दिया गया है। ऐसा राम रहीम के मामले में कईबार हो चुका है।