हल्द्वानी। कुमाऊं रेजिमेंट के रिटायर सूबेदार मेजर ऑनरी कैप्टन खुशाल सिंह गढिय़ा (65) के निधन पर पूर्व सैनिकों ने गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। गढिय़ा का जन्म कपकोट बागेश्वर के ग्राम में हुआ था।
राइंका कपकोट से 12वीं पास करने के बाद 1977 में वह सेना में भर्ती हो गए। उन्हें 16 कुमाऊं रेजिमेंट में तैनाती दी गई। वर्ष 2001 में अनुशासित छवि के साथ ही शारीरिक रूप से दक्ष होने के कारण उन्हें प्रमोशन मिला। गढिय़ा को मेहनत का परिणाम तब मिला जब हवालदार के साथ ही उन्हें इंफेंट्री स्कूल में प्रशिक्षक के तौर पर भेजा गया। उन्होंने वर्ष 1997 से 2001 तक कुमाऊं रेजिमेंट में जूनियर कमांडरों को विशेष ट्रेनिंग दी। बाद मेंंं वह सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत हुए। वर्ष 2010 में करीब 30 वर्ष की सेवा के बाद वह रिटायर हो गए। इसके बाद गढिय़ा हल्द्वानी के सरस्वती विहार बिठौरिया में बस गए। उन्होंने कुमाऊं रेजिमेंट व स्काउट्र्स के के गौरव सेनानियों के बड़े संगठन से जुडक़र भी काम किया। उन्होंने पूर्व सैनिक लीग जनपद नैनीताल के कार्यांे में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। बीती 24 अक्टूबर को उन्होंने राममूर्ति अस्पताल में अंतिम सांस ली। इस दुखद समाचार का पता चलते ही उनके परिजनों के साथ ही पूर्व सैनिकों में शोक छा गया। इस बीच उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के जिलाध्यक्ष रिटायर मेजर बीएस रौतेला, केएस मेहरा, सीबीएस बसेड़ा, एमएस राठौड़, केएस महर, कृपाल सिंह कोरंगा, केशर सिंह, केएस भाकुनी, टीएस कालाकोटी आदि ने गढिय़ा के निधन पर शोक जताते हुए इसे अपूर्णीय क्षति बताया।